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एस धम्मो सनंतनो
इसलिए तुम लाख सिर पटको, उत्तर न पा सकोगे। सिर तोड़ लोगे अपना। हां, घबड़ा जाओ सिर पटकते-पटकते और किसी भी उत्तर को बहाना बनाकर अपने को समझा लो-बात दसरी है।
जिनके पास उत्तर हैं, वे ऐसे लोग हैं जिनकी खोज पूरी नहीं है। जिनके पास उत्तर हैं, वे कमजोर लोग हैं, कायर हैं। जिनके पास उत्तर हैं, वे ऐसे लोग हैं जो खोज पर आगे न जा सके और जिन्होंने कहीं पड़ाव बना लिया और कहा कि मंजिल आ गयी। थक गए! ___ मैं थका नहीं हूं। मेरे पास कोई उत्तर नहीं है। मेरी कोई मंजिल बनाने की तैयारी नहीं है। क्योंकि मैं मानता हूं, यात्रा ही मंजिल है। मजे से चलो। कहीं पहुंचना थोड़े ही है; चलने में ही मजा है। पहुंचने की बात ही कमजोरी की सूचक है।
लोग पहुंचने की बड़ी जल्दी में हैं। क्यों? तुम्हें इस रास्ते पर मजा नहीं आ रहा . है? तुम्हें चारों तरफ खिले फूल दिखायी नहीं पड़ते? ये वृक्षों की छाया, ये हरियाली, ये पक्षियों के गीत, यह कलरव-इसमें तुम्हें मजा नहीं आता? तुम कहते हो, हमें तो मंजिल पर पहुंचना है।
तुमने कभी फर्क देखा? तुम बाजार जाते हो, दुकान पहुंचना है; तब भी तुम उसी रास्ते से गुजरते हो, लेकिन तब न तो वृक्ष दिखायी पड़ते, न सूरज दिखायी पड़ता, न पक्षियों के गीत सुनायी पड़ते-तुम जल्दी में हो, तुम्हें कहीं पहुंचना है। फिर एक सुबह तुम घूमने निकलते हो, या सांझ घूमने निकलते हो; कहीं पहुंचना नहीं, घूमने निकले हो, तफरीह के लिए; तब अचानक तुम्हारे होने का गुणधर्म अलग होता है, तुम्हारे होने की कला ही और होती है! तुम ज्यादा खुले होते हो। पक्षियों की आवाज भी सुनते हो, किसी वृक्ष के नीचे दो क्षण रुक भी जाते हो। कहीं पहुंचना नहीं है। किसी पुलिया पर बैठ भी जाते हो, सुस्ता भी लेते हो। कहीं से भी लौट पड़ते हो। कोई रेखा थोड़े ही है। कोई बंधन नहीं है। तब तुम्हें सरज भी दिखायी पड़ता है, पक्षियों से भी थोड़ा संबंध बनता है, घास की हरियाली भी दिखायी पड़ती है, खिले फूलों का रंग भी मालूम होता है।।
यही रास्ता है, जिस पर तुम दुकान जाने के लिए भी जाते थे। यही रास्ता है, इस पर तुम मंदिर भी जा सकते हो। लेकिन मंदिर जाओ कि दुकान जाओ, बाजार जाओ कि प्रार्थनागृह में जाओ-अगर तुम कहीं जा रहे हो, तो यात्रा से चूक जाते हो; नजर तुम्हारी कहीं और लगी है। यहां नहीं हो सकते। कहीं और हो, अनुपस्थित हो। और इस अनुपस्थिति को ही मैं अधर्म कहता हूं, यही मूर्छा है। होश का अर्थ है : अभी और यहां। एक गीत तुमसे कहूं:
यह समय दुबारा लौट नहीं आएगा भरना है तो तुम मांग मिलन की अभी भरो
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