________________
आज बनकर जी!
बिलकुल नहीं हो। तुम हो, लेकिन होने की कोई सीमा नहीं। चैतन्य हो, लेकिन विचार नहीं। आकाश हो, लेकिन बादल नहीं। कोरा, ओर से छोर तक शून्य।। ___इसे बुद्ध ने परम अवस्था कहा। इसको ही भगवत्ता कहा है। बुद्ध ने भगवान की बात नहीं की, भगवत्ता की बात की। अवस्था है।
भगवान बनकर जी! आकाश बनकर जी! आज बनकर जी!
आज इतना ही।
185