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एस धम्मो सनंतनो
भीतर की सजगता का है, तुम्हारे भीतर के स्वास्थ्य का है।
भागने की चेष्टा मत करना। लोग उन स्थानों को छोड़ देते हैं जहां पाप होने का डर है। जैसे तुम उस रास्ते पर जाने में डरोगे जहां वेश्याएं रहती हैं। लेकिन यह डर सिर्फ इतना ही बताता है कि वेश्याओं में तुम्हें रस है। और यह डर इतना ही बताता है कि तुम्हें अपने पर भरोसा नहीं।
बुद्ध के जीवन में ऐसा उल्लेख है। एक भिक्षु बुद्ध का गांव से गुजरा, गांव की नगरवधू ने, वेश्या ने उस भिक्षु को आते देखा, भिक्षा मांगते देखा। वह थोड़ी चकित हुई, क्योंकि वेश्याओं के मुहल्ले में भिक्षु भिक्षा मांगने आते नहीं थे। यह भिक्षु कैसे यहां आ गया? और यह भिक्षु इतना भोला और निर्दोष लगता था। ___ इसीलिए आ भी गया था। सोचा ही नहीं कि वेश्याओं का मुहल्ला कहां है! नहीं तो साधु पहले पूछ लेते हैं, वेश्याओं का मुहल्ला कहां है? जहां नहीं जाना, वहां का पहले पक्का कर लेना चाहिए। जाने वाला भी पता कर लेता है, न जाने वाला भी पता कर लेता है। दोनों के मन वहीं अटके हैं। - वह वेश्या नीचे उतरकर आ गयी। उसने इससे ज्यादा सुंदर व्यक्ति कभी देखा नहीं था। संन्यस्त से ज्यादा सौंदर्य हो भी नहीं सकता। संन्यास का सौंदर्य अपरिसीम है। क्योंकि व्यक्ति अपने में थिर होता है। सारी उद्विग्नता खो गयी होती है। सारे ज्वर खो गए होते हैं। एक गहन शांति और शीतलता होती है। ध्यान की गंध होती है। अनासक्ति का रस होता है। विराग की वीणा बजती है।
तो संन्यासी से ज्यादा सुंदर कोई व्यक्ति कभी होता ही नहीं। इसलिए तो बुद्धों के सौंदर्य को, सदियां बीत जाती हैं, भूला नहीं जा सकता। और जितनी स्त्रियां संन्यासियों के सौंदर्य पर मोहित होती हैं, उतनी किसी के सौंदर्य पर मोहित नहीं होतीं। महावीर के भिक्षु थे दस हजार, भिक्षुणियां थीं तीस हजार। वही अनुपात बुद्ध का था। वही अनुपात जीसस का भी था। जहां एक पुरुष आया, वहां तीन स्त्रियां आयीं। इतना, तीन गुना फर्क था। स्वभावतः स्त्रियां निष्कलुष सौंदर्य को जल्दी परख पाती हैं, ज्यादा आंदोलित हो जाती हैं, ज्यादा भावाविष्ट हो जाती हैं।
उस वेश्या ने इस भिक्षु को कहा, इस वर्षाकाल तुम मेरे घर रुक जाओ। चार महीने वर्षा के बौद्ध भिक्षु निवास करते थे एक स्थान पर। तो उसने कहा, इस वर्षाकाल तुम मेरे घर रुक जाओ। मैं सब तरह तुम्हारी सेवा करूंगी। उस भिक्षु ने कहा, मैं जाकर अपने गुरु को पूछ लूं। कहा उन्होंने, कल हाजिर हो जाऊंगा। नहीं कहा, तब मजबूरी है। _ भिक्षु ने जाकर बुद्ध को पूछा भरी सभा में, उनके दस हजार भिक्षु मौजूद थे, उसने खड़े होकर कहा कि मैं एक गांव में गया, एक बड़ी सुंदर स्त्री ने निमंत्रण दिया है। दूसरे भिक्षु ने खड़े होकर कहा कि क्षमा करना, वह सुंदर स्त्री नहीं है, वेश्या है। सारे भिक्षुओं में खबर पहुंच गयी थी। सारे भिक्षु उत्तेजित हो रहे थे। उस भिक्षु ने
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