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एस धम्मो सनंतनो
लिए तो विवाह किया था। अभी तुम वहीं के वहीं खड़े हो, तुम्हारी बुद्धि में कोई विकास नहीं हुआ। विवाह भी इसीलिए किया था कि इसको कैसे सुखी करूं, अब भी तुम पूछ रहे हो, इसको सुखी करने के लिए क्या करूं? तब तो तुम इसको दुखी ही करते जाओगे।
तुम खुद सुखी होने की कोशिश करो। इस जगत में कोई किसी को कभी सुखी नहीं कर पाया है। हां, अगर तुम सुखी हो जाओ, तो तुम्हारे पास ऐसी हवा बनती है कि कुछ लोग उस हवा में सुखी होना चाहें तो हो सकते हैं। तुम कर नहीं सकते किसी को सुखी। वहीं तुम्हारे गणित की भूल है। तुमने पहले यह पत्नी दुखी थी-पत्नी न थी-सुखी करने के लिए विवाह किया। अब तुम पूछते हो, अब क्या करूं? . ___तुम जो भी करोगे इसे सुखी करने के लिए, यह और दुखी होती जाएगी, क्योंकि तुम और इसके गुलाम होते चले जाओगे। तुम कृपा करके सुखी हो जाओ। तुम इससे कह दो कि तू मजा कर तेरे दुख में, अगर तुझे दुख में ही मजा लेना है। हम सुख में मजा लेंगे। जब पत्नी रोए, तब तुम गाओ और नाचो। उसको अकल आने दो खुद ही कि अब कोई सार नहीं है दुखी होने का। यह आदमी तो अब अपने से ही नाचने लगा! यह अपने से खुश होने लगा!
अगर तुम उसके दुख को सच में ही मिटाना चाहते हो, सुखी हो जाओ। तुम्हारे सुखी होने से ही उसे संभावना पैदा होगी कि वह भी सोचे कि अब बहुत हो गया यह दुख का खेल, इससे कुछ पाया नहीं। और जिस पति को मैं समझती थी कब्जे में है दुख के कारण, वह भी अब दुख के कारण कब्जे में नहीं है, वह प्रसन्न होने लगा। अब अगर इस पति के साथ बने रहना है, तो प्रसन्न होने के सिवाय कोई उपाय नहीं। __ध्यान रखो, तुम भी दुखी आदमी होओगे, अन्यथा कौन दुखी स्त्रियों में उत्सुक होता है। दुख दुख की तरफ आकर्षित होता है। अंधेरा अंधेरे के पास आता है। रोशनी रोशनी के पास आती है। गलत आदमी गलत आदमियों के पास इकट्ठे हो जाते हैं। मगर दूसरे की गलती दिखायी पड़ती है, अपनी दिखायी नहीं पड़ती। तुम भी दुखी आदमी हो, अन्यथा कौन दुखी स्त्री में उत्सुक होता है! समान समान को खींचते हैं, बुलाते हैं, तालमेल बन जाता है। तुम सुखी होना शुरू हो जाओ, इतना ही तुम कर सकते हो। कम से कम दो में से एक सुखी हो गया, पचास प्रतिशत क्रांति हुई। पचास का मैं तुमसे कहता हूं, होगी, वह भी अपने आप हो जाएगी।
एक बात तुम तय कर लो कि अब तुम अपने कारण सुखी रहोगे, किसी के कारण दुखी नहीं। और समझ लो कि कोई किसी को कभी सुखी कर नहीं पाया है। जितनी तुम चेष्टा करोगे सुखी करने की, उतने ही तुम गुलाम मालूम पड़ोगे। जितने तुम गुलाम मालूम पड़ोगे, दूसरा मजा लेगा। उसके हाथ में तुम्हारी बागडोर है।
तुम पत्नी को कह दो कि अगर तुझे दुख में मजा है, तो मजे से तु दुख की तरफ
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