________________
प्यासे को पानी की पहचान
पहला प्रश्नः
क्या आपने धर्म को पूरी तरह पा लिया है? क्या आप एक सदगुरु हैं? क्या आप परमात्मा को मुझ तक लाने में समर्थ
दी वानों की बस्ती में कोई समझदार आ गया! समझदारी से उठाए गए प्रश्नों
का कोई मूल्य नहीं। नीचे लिखा है, सत्य का एक जिज्ञासु। न तो जिज्ञासा है, न खोज है; मान्यताओं से भरा हुआ मन होगा।
जिज्ञासु को तो यह भी पता नहीं कि ईश्वर है। जिज्ञासु को तो यह भी पता नहीं कि धर्म है। जिज्ञासु को तो यह भी पता नहीं कि सदगुरु है। जिज्ञासु प्रश्न थोड़े ही पूछता है, जिज्ञासु अपनी प्यास जाहिर करता है।
प्रश्न दो ढंग से उठते हैं : एक तो प्यास की भांति; तब उनका गुणधर्म और। और एक जानकारी से, बुद्धि भरी है कूड़ा-करकट से, उसमें से प्रश्न उठ आते हैं।
पहला प्रश्न, 'क्या आपने धर्म को पूरी तरह पा लिया है?'
धर्म का पता है, क्या है? पूरी तरह का अर्थ मालूम है, क्या होता है? धर्म की दुनिया में पा लेने वाला बचता है?
85