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एस धम्मो सनंतनो
'भली प्रकार उपदिष्ट...।'
बहत सी बातें समझने जैसी हैं। तमने धर्म को शास्त्र से अगर पाया तो खतरा है; क्योंकि शास्त्र तो मुर्दा है। शास्त्र तो जीवंत नहीं है। शास्त्र तो पढ़कर तुम जो अर्थ करोगे, वे तुम्हारे होंगे, शास्त्र के नहीं होंगे। ___ माना, गीता तुम पढ़ोगे, लेकिन गीता वही नहीं होगी, जो कृष्ण ने अर्जुन को कही थी। वह भी नहीं होगी, जो अर्जुन ने कृष्ण से सुनी थी। जब तुम गीता पढ़ोगे तो तुम्हीं कृष्ण होओगे, और तुम्हीं अर्जुन होओगे। कृष्ण जो कहेंगे, उसका अर्थ भी तुम करोगे; अर्जुन जो सुनेगा, उसका अर्थ भी तुम करोगे। यह गीता तुम्हारी ही होगी।
मैंने सुना है, एक मुसलमान नवाब अपने राज्य की यात्रा पर गया हुआ था। एक गांव में उसने बड़ी भीड़ लगी देखी। पूछा, क्या हो रहा है? तो किसी ने कहा, यह रामायण से राजा राम की कथा पढ़ी जा रही है। तो उसने कहा, मेरे राज्य में और किसी राजा की कथा चले, यह बरदाश्त के बाहर है। कहो पंडित को, कथा मेरी कहे। राज्य मेरा है, किसी और राजा की कथा चल रही है!
पंडित बड़ा होशियार था, घाघ था, जैसे कि पंडित होते हैं। उसने कहा, हुजूर! कथा बड़ी है, लिखने में समय लगेगा। छह महीने में आपकी कथा लिखकर हाजिर कर दूंगा, फिर हम सुनाने लगेंगे। हमें क्या लेना-देना राजा राम से?
छह महीने बाद वह पंडित आया। उसने कहा, कथा तो लिख गई, एक अड़चन आ रही है; आपकी सीता को कौन ले भागा? आप उसका नाम बता दें तो मैं लिख दूं। क्योंकि बिना सीता के चोरी गए कथा बनती ही नहीं। आपकी सीता को कौन चुरा ले गया है? उस शैतान का नाम मुझे बता दें।
उस नवाब ने कहा, भई ठहरो; यह कहां की झंझट में उलझाते हो? ऐसी कथा से बाज आए। तुम अपनी पुरानी जो कथा कहते थे, वही कहो। तुम्हारी कथा के लिए मेरी सीता को चोरी करवाओगे? यह तो महंगा सौदा हो गया।
__ जब तुम रामायण पढ़ोगे तो तुन राम की कथा में अपने को आरोपित करोगे। राम की कथा तुम्हारा ही प्रक्षेपण हो जाएगी। राम की सीता थोड़े ही चोरी जाएगी, तुम्हारी ही सीता चोरी जाएगी।
जब तुम गीता पढ़ोगे तो कृष्ण जो कहेंगे, वह थोड़े ही तुम सुनोगे, तुम जो सुन सकते हो, वही सुनोगे। यह कुरुक्षेत्र का युद्ध थोड़े ही होगा, यह तो तुम्हारे भीतर का ही द्वंद्व होगा, जो कुरुक्षेत्र के युद्ध पर फैल जाएगा, विस्तीर्ण हो जाएगा।
शास्त्र से जिसने धर्म पाया, उसने बंधन पाए, अफीम पाई। इसीलिए बुद्ध कहते हैं, 'ठीक तरह से उपदिष्ट...।'
जीवंत गुरु से पाना, जहां अभी उपदेश बहता हो। जीवित गुरु से पाने की कोशिश करना। तो ही संभावना है कि तुम धर्म की अफीम न बनाओगे; अन्यथा बहुत डर है, तुम वैसे ही सोए हो...।