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तू आप है अपनी रोशनाई
पहला प्रश्न:
मेरी समझ में कुछ भी नहीं आता। कभी लगता है कि पूछना ___क्या है, सब ठीक है; और कभी प्रश्न ही प्रश्न सामने होते हैं।
स म झ की बहुत बात भी नहीं। समझने का बहुत सवाल भी नहीं। जो
-समझने में ही उलझा रहेगा, नासमझ ही बना रहेगा। जीवन कुछ जीने की बात है, स्वाद लेने की बात है। समझ का अर्थ ही होता है कि हम बिना स्वाद लिए समझने की चेष्टा में लगे हैं, बिना जीए समझने की चेष्टा में लगे हैं। बिना भोजन किए भूख न मिटेगी। समझने से कब किसकी भूख मिटी? और भूख मिट जाए तो समझने की चिंता कौन करता है! __ आदमी ने एक बड़ी बुनियादी भूल सीख ली है-वह है, जीवन को समझ के द्वारा भरने की। जीवन कभी समझ से भरता नहीं; धोखा पैदा होता है।
प्रेम करो तो प्रेम को जानोगे। प्रार्थना करो तो प्रार्थना को जानोगे। अहंकार की सीढ़ियां थोड़ी उतरो तो निरहंकार को जानोगे। डूबो, मिटो, तो परमात्मा का थोड़ा बोध पैदा होगा। लेकिन तुम कहते हो, पहले हम समझेंगे। तुम कहते हो, हम पानी में उतरेंगे
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