SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो ‘पार जाने वाले मनुष्य, मनुष्यों में थोड़े ही हैं। ये इतर लोग तो किनारे-किनारे ही दौड़ने वाले हैं।' ___पार जाने वाले मनुष्य, संसार से पार जाने वाले मनुष्य, समय से पार जाने वाले मनुष्य थोड़े ही हैं। इतर लोग तो किनारे-किनारे ही दौड़ते रहते हैं। किनारे तुम कितने ही दौड़ो, कुछ न पाओगे। पार जाना होगा, अतिक्रमण करना होगा। उस अतिक्रमण की कीमिया का नाम ही धर्म है। उस अतिक्रमण के लिए जो नौका बनाई जाती है, उसी का नाम ध्यान है। पार जाने के लिए जो सीढ़ी लगाई जाती है, उसी का नाम निर्विचार है। कैसे यह निर्विचार की सीढ़ी लगे? कैसे यह नौका बने ध्यान की? कि तुम पार जा सको, समय के पार ! इसे थोड़ा समझ लें; यह बहुत बहुमूल्य सूत्र है। वासना सदा कहती है-कल। तृष्णा सदा कहती है-कल। चाह सदा कहती है-कल। ध्यान कहता है-आज, अभी, यहीं। ध्यान के लिए वर्तमान के अतिरिक्त कोई क्षण नहीं है। चाह के लिए वर्तमान को छोड़कर सब है- भविष्य है, अतीत है। ध्यान के लिए न अतीत है, न भविष्य है, बस यही क्षण है। और इसी क्षण में से समय के पार जाने का द्वार है। वर्तमान के क्षण में वह सुविधा है कि अगर तुम ठहर जाओ, तुम सरक जाते हो समय के पार। मगर वहीं मन ठहरने नहीं देता। मन कहता है, कल मकान बनाना है, परसों धन कमाना, फिर यह करना, फिर वह करना। मन योजनाएं बनाता है। उन्हीं योजनाओं के कारण वह जो संकरा सा द्वार है, अति संकरा...। जीसस ने कहा है, द्वार बहुत संकरा है, लेकिन बिलकुल सीधा है। सरल है, सुगम है; लेकिन बहुत संकरा है। इतना संकरा है कि अगर तुम बहुत बारीकी से न देखो तो तुम चूकते ही चले जाओगे। __ वर्तमान का क्षण कितना छोटा है, कभी तुमने सोचा? न के बराबर है। तुम जब सोचते हो वर्तमान का क्षण, तभी वह अतीत हो जाता है, इतना छोटा है। इधर तुमने कहा वर्तमान, इधर वह वर्तमान न रहा-गया! जानते ही अतीत हो जाता है। तो या तो भविष्य होता है या अतीत होता है। जब तक नहीं जानते, तब तक भविष्य; जैसे ही जाना, अतीत। जब तक आशा करते हो, आ रहा है...आ रहा है...तब तक आया नहीं; जैसे ही जाना, आ गया-जा चुका! वर्तमान के क्षण को विचार कभी पकड़ ही नहीं पाता। इसे थोड़ा समझना। विचार की पकड़ बड़ी बोथली है, वर्तमान का क्षण बड़ा सूक्ष्म है। या तो विचार भविष्य को पकड़ता है, जो अभी आया नहीं, या अतीत को पकड़ता है, जो जा चुका-दोनों व्यर्थ हैं। सत्य का तो अर्थ है : वही, जो है; जो न कभी आता, जो न कभी जाता। एस धम्मो सनंतनो-जो धर्म सदा है, अभी है; कल भी था, कल भी होगा। इसलिए 24
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy