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एस धम्मो सनंतनो
तुम दूसरा विकल्प भी ले सकते हो, जो कि साधारणतः सौ में से निन्यानबे लोग लेते हैं; वह यह कि तुम मुझ पर नाराज हो जाओ कि हमारे हीरे-जवाहरातों को कंकड़-पत्थर किए दे रहे हो। तुम सदा के लिए मेरे दुश्मन हो जाओ; तो तुम अशांत हो जाओगे। ___ और ध्यान रखना, अब तुम लाख उपाय करो, तुम्हारे कंकड़-पत्थर फिर से हीरे न हो सकेंगे। अब तुम बड़े अशांत हो जाओगे। अब तुम बड़ी पीड़ा में पड़ जाओगे। अब तुम लाख मानने की कोशिश करो कि ये हीरे-जवाहरात हैं, ये हीरे-जवाहरात अब न हो सकेंगे। तुम कितने ही नाराज होओ, कितने ही क्रोधित होओ, कितनी ही गालियां मेरी तरफ फेंको, अब ये हीरे-जवाहरात हीरे-जवाहरात नहीं हैं। कितने ही छाती से चिपटाओ, भ्रम टूटा सो टूटा। जो बात गई, सो बात गई; अब उसे लौटाया नहीं जा सकता।
जो झूठ तुम्हें एक बार भी दिखाई पड़ गया कि झूठ है, उसे फिर सत्य नहीं बनाया जा सकता। और जो सत्य तुम्हें एक बार भी झलक गया कि सत्य है, अब तुम उसे झुठला न सकोगे। ____ तो ध्यान रखना, जिसके पास परम उपशांति मिल सकती है, उसके पास से तुम अशांत होकर भी जा सकते हो। अपने कारण तुम अशांत हो जाओगे।
अगर तुमने उपशांति का सूत्र पकड़ लिया, अगर तुम सार्थकता की खोज में संलग्न हो गए, अगर तुम्हारे भीतर यह भाव उठा कि जैसा प्रकाश इस व्यक्ति के जीवन में उठा है, ऐसा प्रकाश मेरे जीवन में भी हो, तो तुम आत्मविजय की यात्रा में संलग्न हुए। ____संग्राम में हजारों मनुष्यों को जीतने वाले से भी उत्तम संग्राम-विजेता वह है, जो एक अपने को ही जीत ले।'
सब जीत आखिर में हार सिद्ध होती है। सब जीत! बेशर्त कहता हूं; सब जीत अंततः हार सिद्ध होती है। सब सफलताएं आखिर में विफलता के खड्ड में गिरा जाती हैं। और जिसे तुम जीवन कहते हो, वह बेचूक कब्र में जाकर पूरा होता है-बेचूक। उसका कोई और अंत नहीं है।
ऐसा यह संसार है जैसे सेमर फूल
दिन दस के व्यवहार में झूठे रंग न भूल एक अपने को जीतना ही जीतना सिद्ध होता है। एक अपने को पाना ही पाना सिद्ध होता है, क्योंकि फिर उसे मौत नहीं छीन पाती। वही जीवन है, जिसे मौत न छीन पाए। फिर उसे चिता की लपटें नहीं जला पातीं। वही संपदा है, जिसे आग न जला पाए। फिर उस पद को कोई तुमसे छीन नहीं सकता। संसार की हवाएं उस सिंहासन से तुम्हें नीचे नहीं उतार सकतीं। वही पद है पाने योग्य, जो फिर छीना न जा सके। एस धम्मो सनंतनो। वही है शाश्वत धर्म, जिसके सामने मृत्यु हार जाती है।
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