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एस धम्मो सनंतनो
एक मूर्तिकार मूर्ति बना लेता है; इससे क्या पता चल जाता है ? उससे पूछो, वह कहेगा, एक भाव उठा, पता नहीं कहां से आया ? क्यों आया ? न आता तो भी कोई उपाय नहीं था । आ गया तो पकड़े गए उस भाव में, उस भाव ने पकड़ ली गर्दन और मूर्ति को बनाना पड़ा। कैसे बनी ? किसने बनाई ? उपकरण हो गया था। एक कवि से पूछो - जिसने गीत रचा हो – पूछो, कैसे बनाया ? कहेगा, पता नहीं ।
जिन्हें पता है, वे शायद कहें, पता नहीं; और जिन्हें पता नहीं है, वे निश्चित उत्तर देंगे कि पता है, क्योंकि इसी भांति वे अपने अज्ञान को ढांक सकेंगे।
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वे तीन कछुए आपस में लड़ते थे, लेकिन उनका विवाद खतम हो गया, जब इस चौथे कछुए ने शांत रहकर कहा कि मुझे पता नहीं। किसको पता है? उनके क्रोध की सीमा न रही। उन्होंने कहा कि बड़ा रहस्यवादी बनता है, बड़ा समझदार बनता है । इतनी समझदारी की बात कर रहा है, हमें पता नहीं, किसी को पता नहीं ! धक्का मारकर नीचे गिरा दिया।
सत्य जब भी बोला गया है तो बाकी कछुओं ने उसे धक्का मारकर गिरा दिया है| सत्य को कभी स्वीकार नहीं किया गया। क्योंकि तुम कुछ पहले से ही स्वीकार किए बैठे हो, इसलिए सत्य से भी वंचित रह जाते हो और सत्य की अभिव्यक्ति के पास जो उपशांत होने की संभावना थी, उससे भी वंचित रह जाते हो। तुम पहले से ही माने बैठे हो कि तुम्हें पता है ।
मेरे पास तुम हो, अपनी सब जानकारी अलग रख दो; गठरी में बांधकर नदी में डुबा आओ; तो तुम मुझे सुनते-सुनते उपशांत होने लगोगे। तुम्हें शायद कुछ करना भी न पड़े, शायद सुनते-सुनते ही तुम एक नए अर्थ से भर जाओ, आपूरित हो जाओ - हो ही जाओगे, हो ही जाना चाहिए; कोई कारण नहीं है, बाधा नहीं है कोई। लेकिन अगर तुम अपनी जानकारी लेकर सुन रहे हो, तुम अपने शास्त्र को बचा- बचाकर सुन रहे हो, तुम अपने सिद्धांतों को पकड़े-पकड़े सुन रहे हो, तो तुमने सुना ही नहीं; तब तुम विवाद में रहे, संवाद न हो सका। संवाद हो जाए और एक सार्थक पद पड़ जाए तुम्हारे भीतर, बस, काफी है।
बुद्ध कहते हैं, 'एक सार्थक पद श्रेष्ठ है हजारों पदों से भी।'
पर क्या है सार्थकता की उनकी परिभाषा ? जो भीतर के अनुभव से आया हो, अनुभवसिक्त हो, जानकर आया हो; उधार न हो, नगद हो, तो ही सार्थक है। ज्ञान की आराधना दिन का शयन है क्लेश से निस्तार केवल कर्म से है दर्शनों से सिद्धियां किसको मिली हैं। जीव का उद्धार केवल धर्म से है
दर्शनों से सिद्धियां किसको मिली हैं।
कितना ही समझो, सोचो, विचार करो, शास्त्र पढ़ो, अध्ययन-मनन
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-चिंतन