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चरैवेति चरैवेति
कोई स्वप्न ने पकड़ा मालूम हुआ।
पहले तो तुम लाख उपाय करोगे इसे झुठलाने के, कि यह नहीं है; क्योंकि यह खतरा है, यह जोखिम है। यहां चलना खतरे से खाली नहीं है। पहले तो तुम सम्हालोगे। तुम्हारे पैर तो कभी न लड़खड़ाए थे। तुम तो सदा सम्हलकर चले थे। तुम तो बड़े होशियार थे और आज यह कैसी दीवानगी छाई जाती है? और आज यह क्या हुआ जाता है? पैर लड़खड़ाने लगे। तुमने तो कभी पी न थी, आज यह तुम्हें क्या हुआ है? __ तुम पहले तो किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाओगे। तुम्हारा सारा अतीत डगमगा जाएगा। ऐसे तो तुम कभी भी न थे। यह कुछ नया हुआ है! तुम इंकार करोगे, क्योंकि मन जो अतीत है, उससे ही बंधा रहना चाहता है। मन नए से भयभीत है। इसीलिए तो मन परमात्मा को कभी भी नहीं खोज पाता, क्योंकि परमात्मा नित-नूतन है। ___मन तो बंधी लकीर का फकीर है; बंधे-बंधाए रास्तों पर सुविधापूर्ण दौड़ता रहता है। ट्रामगाड़ी है, बंधी पटरियों पर दौड़ती रहती है। ऐसा मन है। जब पहली दफा तुम पाओगे कि पटरियां नीचे से हट गयीं; बिना पटरियों के तुम अनजान में उतरे जाते हो-घबड़ा जाओगे, ठिठककर खड़े हो जाओगे; पुराने सूत्र को पकड़ने की चेष्टा करोगे, नए से बचना चाहोगे।
. लेकिन प्रेम आ जाए तो तुम बच न सकोगे; देर-अबेर तुम्हें स्वीकार करना ही पड़ेगा। क्योंकि प्रेम का आनंद ऐसा है। अपरिचित है माना, क्योंकि आनंद ही तुम्हें अपरिचित है; अनजान है माना, क्योंकि जो तुमने जाना है, वह जानने योग्य भी कहां था? उतरते हो किसी ऐसे लोक में, जिसका हाथ में कोई नक्शा नहीं है।
डर स्वाभाविक है, लेकिन डर भी तभी तक है जब तक प्रेम की घटना नहीं घटी है। एक बार घटे तो धीरे-धीरे डर छूट जाता है। कौन प्रेम को छोड़ेगा भय के लिए? थोड़ी देर जद्दोजहद होगी, थोड़ी देर तुम लड़ोगे, थोड़ी देर तुम बचोगे, थोड़ी देर तुम उपाय करोगे, लेकिन प्रेम सब व्यर्थ कर जाता है। प्रेम तुमसे बड़ा है; तुम्हारे उपाय कारगर नहीं हो सकते। ___ तुम से पहले मुझे पता चल जाता है। अस्तित्व की भाषा है; और जिसने अपने को जाना, उसने अस्तित्व की भाषा जानी।
इतने लोग मेरे पास आते हैं, जब कोई प्रेम से आता है तो उसके आने का ढंग ही और। जब कोई प्रेम से आता है, तभी आता है; बाकी आते मालूम पड़ते हैं, जाते मालूम पड़ते हैं। बाकी आते हैं, जाने के लिए; प्रेम से भरकर जो आता है, वह आ गया; फिर कोई जाना नहीं है। प्रेम में कोई लौटने का उपाय नहीं है।
तो अगर तुम्हें लगता हो, अगर तुम्हें खबर मिली हो, संदेशा पहुंच गया हो, तुम्हारे हृदय की खबर तुम्हारे मस्तिष्क तक आ गई हो, जहां तुम विराजमान हो; सिर में जहां तुम बैठे हो, वहां तक अगर हृदय के तार झंकार पहुंच गए हों तो तुम मेरी
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