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एस धम्मो सनंतनो
सुबह की आज जो रंगत है वह पहले तो न थी सुबह तो बहुत हुईं, लेकिन सुबह पहली बार होती है, जब प्रेम होता है।
सुबह की आज जो रंगत है वह पहले तो न थी
क्या खबर आज खरामां सरे-गुलजार है कौन कौन आज सुबह-सुबह मेरे बगीचे से गुजर गया? कौन मेरे हृदय से गुजर गया है? सब अधखिली कलियां चटक गयीं, फूल बन गयीं। मुझए पौधे जीवंत हो गए, हरे हो गए। मरुस्थल जगमगा उठा, दीपमालिका सज गई।
शाम गुलनार हुई जाती है, देखो तो सही
यह जो निकला है लिए मशअले-रुखसार है कौन यह कौन मेरे हृदय में मशाल लेकर निकल गया?
शाम गुलनार हुई जाती है, देखो तो सही
यह जो निकला है लिए मशअले-रुखसार है कौन प्रेम आता है, एक झंझावात की तरह जगा जाता है। प्रेम आता है, नींद तोड़ जाता है। प्रेम आता है, प्रकाश से भर जाता है।
प्रेम आता है, तत्क्षण लगता है, अब जीवन में गति आई, गंतव्य आया; कहीं पहुंचने जैसी कोई बात हुई। नाव को दिशा मिलती है। मैं तो समझ लूंगा, अगर तुम्हें यह समझ में आ गया हो
सुबह की आज जो रंगत है वह पहले तो न थी अगर तुम्हें यह समझ में आ गया हो कि आज दिल का हाल कुछ और! किसी ने छुआ है और वीणा जाग उठी है। किसी ने छुआ है और वीणा गुनगुनाने लगी है। किसी ने छुआ है और मौन बोल उठा है। ____तुम्हें भर पता हो! तुम मेरी फिक्र छोड़ो। तुम्हें पता चले इसके पहले मुझे पता चल जाएगा। तुम्हें पता चलेगा उसके पहले मुझे पता चल जाएगा। क्योंकि तुम भी अपने हृदय के उतने करीब नहीं हो, जितना मैं तुम्हारे हृदय के करीब हूं। तुम्हें पता चलने में थोड़ी देर लग जाएगी, तुम अपने से थोड़े ज्यादा दूर हो। मैं तुमसे ज्यादा करीब हूं, क्योंकि मैं अपने करीब हूं। ___ जो अपने करीब है, वह सबके करीब है, क्योंकि अपने करीब होना सबके करीब हो जाना है। उस भीतर के जगत में अपना और पराया कोई है? उस भीतर के जगत में मैं और तू कोई है? जिस दिन मैं अपने करीब हुआ, उसी दिन मैं तुम्हारे करीब हो गया हूं।
हो सकता है, प्रेम तुम्हारे भीतर जगे, तुम्हें थोड़ी देर से पता चले। तुम पहले तो चौंकोगे; पहले तो तुम भरोसा न कर सकोगे; पहले तो तुम संदेह से भरोगे कि यह क्या हुआ है? जरूर कोई कल्पना होगी, कोई मन का खेल-फिर कोई खेल, फिर
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