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________________ एस धम्मो सनंतनो धम्मपद के एक अत्यंत अनूठे सूत्र में आज प्रवेश होता है। सूत्र इतना अनूठा है कि बुद्ध के अतिरिक्त वैसा वक्तव्य कभी किसी दूसरे व्यक्ति ने न दिया है, न देगा। ___ बुद्ध की सारी विशिष्टता इस सूत्र में समाहित है—उनकी क्रांति, उनके देखने का अनूठा ढंग, उनकी बिलकुल नई पहुंच। बुद्ध के पूर्व, बुद्ध के बाद भी, सभी ने श्रद्धा के गीत गाए हैं। ये सूत्र श्रद्धा के विरोध में हैं। कठिनाई भी होगी थोड़ी समझने में, लेकिन अगर समझ पाए तो श्रद्धा का सार समझ में आ जाएगा। ये सूत्र श्रद्धा के विरोध में हैं, क्योंकि श्रद्धा के नाम पर बहुत कुछ चलता है, जो श्रद्धा नहीं है। ये सूत्र श्रद्धा के विरोध में हैं, क्योंकि बुद्ध श्रद्धा के बड़े गहरे पक्ष में हैं। उन्हें बड़ी चोट लगी होगी; श्रद्धा के नाम से चलता हुआ जो देखा होगा, उन्हें बड़ी पीड़ा हुई होगी। वे श्रद्धा के विरोध में बोले। लेकिन जो भी समझेंगे, वे पाएंगे कि यह विरोध इसीलिए है कि श्रद्धा के वे बड़े हिमायती और पक्षपाती हैं। इसलिए जस नाजुक है। ___ अक्सर ऐसा होता है कि धर्म के विरोध में वही लोग बोलते हैं, जो धर्म के बड़े गहरे पक्षपाती होते हैं; और देखते हैं कि मंदिर-मस्जिद का धर्म मुर्दा है; और देखते हैं कि पंडित-पुरोहित का धर्म झूठा है। जब धर्म के नाम से चलते इतने झूठ देखते हैं, झूठ की प्रतिमाओं की इतनी पूजा देखते हैं, तो उनके भीतर आग जल जाती है; तो वे धर्म के विरोध में बोलते हैं। लेकिन अगर तुमने उनके शब्द ही समझे और उनकी आत्मा न समझ पाए तो चूक गए। ___अक्सर ऐसा होगा, अक्सर ऐसा हुआ है कि परम धार्मिक व्यक्ति, तुम जिसे धर्म कहते हो, उसके पक्ष में हो ही नहीं सकता। तुम जिसे धर्म कहते हो, वह धर्म ही नहीं है। __तो बुद्ध जब श्रद्धा के विपरीत में बोलें तो समझना कि तुम जिसे श्रद्धा कहते हो, उसके विपरीत बोल रहे हैं। और बुद्ध जिसे श्रद्धा कहते हैं, वह तो तुम्हें अश्रद्धा जैसी मालूम पड़ेगी। क्योंकि तुमने जिसे श्रद्धा समझा है, वह अश्रद्धा है। तुमने जिसे सीधा समझा है, वह उलटा है। इसलिए बुद्ध जब सीधी बात कहेंगे, तब तुम्हें उलटी मालूम पड़ेगी। ___इसलिए बुद्ध के इन वचनों को अपने विचारों की भीड़ से दूर रखकर समझने की कोशिश करना। इन्हीं वचनों के कारण पूरा भारत बुद्ध से वंचित हुआ है। बुद्ध भारत में जन्मे और भारत के न रह गए। ऐसा अनूठा अवसर इस देश ने गंवाया है कि उसे भर पाने का कोई उपाय नहीं है। सारे एशिया पर बुद्ध का सूरज उगा, सिर्फ भारत में, जहां वे पैदा हुए थे, वहां अस्त हो गया। भारत क्यों वंचित हुआ बुद्ध को समझने से? भारत के पास बड़ी बंधी हुई 224
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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