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________________ एस धम्मो सनंतनो तुम खोज रहे हो, वह जल नहीं है। जो जल तुम सोचते हो मिल गया, वह जल नहीं है। प्यास बढ़ती जा रही है, आग बढ़ती जा रही है, तुम अशांत होते जा रहे हो। यह केवल इस बात की खबर है, कहीं और खोजो; किसी और दिशा में खोजो। चल चुके बाहर, भीतर चलो। कर चुके बहुत याद संसार की—आओ जिक्रे-यार करें-परमात्मा की याद करो। बहुत खोज चुके दूसरे में, बहुत खोद चुके दूसरे में, कुछ भी न पाया; जल आता नहीं। चलो, अब अपने में खोदें। ___ एक यात्रा व्यर्थ जा रही है, इसलिए तुम अशांत हो। यात्रा सार्थक होने लगे, तत्क्षण शांति आनी शुरू हो जाती है। दिशा में चल भी पड़ो तो तत्क्षण तुम पाओगे, ठंडी हवाएं आने लगीं, सुवासित हवाएं आने लगीं। उस दिशा में मुड़ते ही शांति पंख फैलाने लगती है। 'सारथी द्वारा दान्त किए गए घोड़े के समान जिसकी इंद्रियां शांत हो गई हैं।' . शांत की नहीं गई हैं, हो गई हैं। शांत की, चूके शांत हुईं, पाया। करने और होने का फर्क खयाल में रखना। करना तो जबरदस्ती भी हो सकता है-जबरदस्ती ही होता है—होना जबरदस्ती नहीं होता। तुम सिर्फ आयोजन जुटाओ, तुम सिर्फ कारण पूरे कर दो, तुम परिस्थिति बनाओ, एक दिन अचानक हो जाता है। होना सदा प्रसादरूप है। तुम्हारे करने से हो, ऐसा नहीं; तुम्हारे करने से नहीं होता, तुम सिर्फ व्यवस्था जुटा देते हो, तुम द्वार खोलकर खड़े हो जाते हो; फिर सूरज उगता है, भीतर चला आता है। तुम इतना ही कर सकते हो कि द्वार खोलकर खड़े रहो। ___ तुम सौ डिग्री तक पानी को गर्म कर दो, ईंधन जुटा दो, आग जला दो। फिर सौ डिग्री पर पानी अपने से भाप बन जाता है। फिर तुम्हें पानी को खींच-खींचकर भाप नहीं बनाना पड़ता। __ तुम पौधों को पानी दे दो, धूप दे दो, खाद दे दो, फिर तुम्हें खींच-खींचकर फूल बाहर निकालने नहीं पड़ते; वे अपने से उमगते आते हैं। फूल पैदा नहीं किए जाते, पैदा होते हैं। हां, फूल पैदा होने के लिए व्यवस्था तुम जुटा दो, बस। माली फूल पैदा नहीं करता, फूल पैदा हो सकें, इसके लिए जरूरी व्यवस्था जुटाता है। खाद डालता है, भूमि तैयार करता है, पानी सींचता है और प्रार्थना करता है। क्या कर सकता है और? प्रार्थना करता है कि खिलें फूल, अभीप्सा करता है कि खिलें फूल, प्रतीक्षा करता है कि खिलें फूल। व्यवस्था पूरी कर देता है, किसी दिन फूल खिलते हैं। उस दिन माली यह न कहेगा कि मैंने खिलाए। फूल तो सदा परमात्मा ही खिलाता है। फूल तो सदा अस्तित्व से खिलते हैं, हम सिर्फ आयोजन करते हैं। ___ अगर तुम किसी बड़े चिकित्सक से पूछो तो वह यही कहेगा कि हम दवा देते हैं, मरीज को आराम देते हैं, स्वास्थ्य नहीं देते; सिर्फ इंतजाम कर देते हैं। स्वास्थ्य 182
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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