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एस धम्मो सनंतनो
सभी गोपियां बन जाती हैं: वे सोलह हजार तम्हारे आसपास नाचने लगती हैं। ___ सभी परम पुरुषों के पास रास बना है। और जहां रास न बने, समझना कहीं कोई चूक हो गई। मैं तुमसे कहता हूं, कृष्ण के पास ही गोपियां नहीं नाचती थीं. मैंने उन्हें बुद्ध के पास भी नाचते देखा है; अब भी देखता हूं। यह सदा ही होगा, यह होना ही चाहिए। इसके अतिरिक्त कोई उपाय नहीं है। जब आत्मा मस्ती के गीत गाती है, इंद्रियां सराबोर होकर नाचने लगती हैं। ____ इंद्रियां तुम्हें तभी तक भटकाती हैं, जब तक तुम कोरे हो और आनंद से शून्य हो। इसलिए इंद्रियां तुम्हें भटका पाती हैं। क्योंकि वे छोटा-मोटा सुख का जो तुम्हें आश्वासन देती हैं, वह अभी तुम्हें सुख मालूम पड़ता है। जब तुम भीतर आनंद से भरे होते हो, जब तुम उन्हें इतना आनंद दे पाते हो, जब तुम उन पर आनंद की वर्षा कर पाते हो, तब-इंद्रियां कहां जाती हैं? बाजार छूट जाता है। .
और जब इंद्रियां तृप्त होकर तुम्हारा पीछा करती हैं, अनुगमन करती हैं, तुम्हारे साथ नाचती हुई चलती हैं, तब जिंदगी, जिंदगी बनी; तब यात्रा, धर्म-यात्रा बनी; तब कारवां परमात्मा की तरफ चला।
'सारथी द्वारा दान्त किए गए घोड़े के समान जिसकी इंद्रियां शांत हो गई हैं।'
इंद्रियां शांत ही तब होती हैं, जब उन्हें इतना मिल जाता है, जितना उन्होंने कभी सोचा ही न था; और कोई उपाय नहीं है। तुम जबरदस्ती शांत करने की कोशिश कर रहे हो। तुम इसी तरह हो, जैसे कि कोई मां अपने बच्चे को डरा-धमका कर बैठा दे एक कोने में डंडा बताकर कि बैठ वहां कोने में; हिलना-डुलना नहीं। देखा? वह बैठा रहता है दबाए अपने को, मुंह लाल हो जाता है, आंसू बह रहे हैं, हिलता-डुलता नहीं। लेकिन भीतर देखो, तूफान उबल रहा है।
ऐसे ही तुम्हारे साधु-संन्यासी हैं; बैठे हैं नर्क-स्वर्ग के डर से, भय से कोई डंडा सामने लिए खड़ा है, हिल-डुल नहीं सकते-लेकिन भीतर जरा उनके देखो, भीतर वे भी अपने देखने में डरते हैं, शांत नहीं हुआ है कुछ भी। क्योंकि शांति तो आनंद की छाया है।
शांति का अर्थ है : तृप्ति। शांति का अर्थ है : पा लिया जो पाना था; पा लिया जो सोचा था; पा लिया ज्यादा, जितना चाहा था। स्वप्न भी जिसके न देख सकते थे, वह भी पा लिया।
मेरे ख्वाबों के दरीचे से ये झांका किसने
नींद की झील पे ये किसने कमल फैलाए. जैसे ही आनंद की किरण उतरती है, कमल ही कमल फैल जाते हैं। तुम आनंदित होते हो, शांति तुम्हारे चारों तरफ घनीभूत हो जाती है। आनंदित व्यक्ति का लक्षण है शांति। शांति को सीधा मत चाहना, शांति परिणाम है।
मेरे पास लोग आते हैं; वे कहते हैं, शांत होना है। मैं कहता हूं, पहले मस्त तो
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