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एस धम्मो सनंतनो
र तो एक बाजार है; स्वयं को छोड़कर सभी कुछ वहां मिलता है। जो पाने योग्य है, उसे छोड़कर सभी कुछ वहां पाया जा सकता है। जिसे पाकर और पाने की सब चाह चली जाती है, बस उसी को तुम वहां न पा सकोगे । बहुत कुछ वहां मिलता है, सभी कुछ वहां मिलता है, लेकिन जो भी वहां मिलता है, उससे और पाने की चाह बढ़ती चली जाती है। जल कुछ ऐसा मिलता है कि प्यास घटती नहीं, जलन बुझती नहीं, तृप्ति आती नहीं; जैसे जल नहीं, प्यास की आग में संसार घी बनकर पड़ता चला जाता है।
और मनुष्य का मन ऐसे है, जैसे छोटा सा बच्चा बाजार में आया हो, मेले में आया हो, और हर चीज को खरीदने के लिए ठिठक जाता है; और हर चीज को . खरीदने के लिए खेने लगता है, तड़फने लगता है, परेशान होने लगता है। और यह बच्चा सारी चीजें भी खरीद ले और सांझ होते-होते, दुकानें बंद होते-होते अपने घर बहुत सा खेल-खिलौना लेकर आ जाए तो भी खेल-खिलौने ही हैं; उनका कोई मूल्य नहीं है। उनसे आशा तो बंधती है, बड़ी आशा बंधती है, लेकिन आशा कभी पूरी नहीं होती। दो-चार दिन बाद बच्चा पाता है कि जिन खेल-खिलौनों के लिए इतना ठिठका, इतना रोया, इतना परेशान हुआ, उसने खुद ही उन्हें छोड़-छाड़कर कोनों में डाल दिया है। खुद ही उन्हें बाहर फेंक आया है।
लेकिन मन एक पुनरुक्ति है। बार-बार तुम वही करते हो, फिर भी जाग नहीं आती। और एक बच्चा होता तो ठीक है, तुम्हारे भीतर वासनाओं की बड़ी बचकानी भीड़ है। हर इंद्रिय की न मालूम कितनी वासनाएं हैं। हर इंद्रिय पर्त दर पर्त वासना ही वासना है। पूरे जन्म बीत जाते हैं, हाथ कुछ भी लगता नहीं। और इतनी समझ भी नहीं लगती कि जहां हम खोजते थे, वहां मिलने को ही कुछ भी न था ।
जिसे यह दिखाई पड़ने लगा, जो दुकानों की तरफ से उपेक्षा से गुजरने लगा, जिसके भीतर धीरे-धीरे अपने को खोजने की तलाश पैदा हुई, जिसे यह खयाल आया कि जब अपने को ही नहीं पाया तो और कुछ पाकर करूंगा भी क्या ? यह बोध जन्मा कि सब पाने के पहले अपने को पा लेना जरूरी है, तो बुनियाद बनेगी, तो आधार पड़ेगा। तो ही जीवन का भवन खड़ा हो सकता है। अपने को बिना पाए रेत पर बनाते हैं हम भवन को । अगर गिर गिर जाए तो कसूर किसका है ?
बुद्ध के आज के सूत्र इंद्रियों की दौड़, मन की व्यर्थ वासनाओं की अभिलाषा; और कैसे उन वासनाओं के कोई पार होता है, उस संबंध में हैं।
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जवानी, हुस्न, गमजे, अहद, पैमां, कहकहे, नगमे
रसीले होंठ, शर्मीली निगाहें, मरमरी बांहें
यहां हर चीज बिकती है, खरीददारो बताओ क्या खरीदोगे ?