________________
एस धम्मो सनंतनो गई, जिसकी कैद तुम्हारे ऊपर ठहर गई, जो तुम्हारे हाथ में जंजीर बन गई, वह सोने की भी हो, हीरे-जवाहरात भी जड़े हों, तो भी बुरी। जिसके तुम मालिक हो, वह आदत भली ।
तुम्हारी मालकियत मापदंड है। तुम्हारा स्वामित्व, तुम्हारी परम स्वतंत्रता एकमात्र कसौटी है।
आज इतना ही।
164