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एस धम्मो सनंतनो बेचैन हो जाने की जरूरत नहीं है, इसे समझ लो। समझ काफी है।
नुजूम बुझते रहें तीरगी उमड़ती रहे
मगर यकीने-सहर है जिन्हें, उदास नहीं तारे बुझते रहें, अंधेरा बढ़ता रहे, लेकिन जिन्हें सुबह का भरोसा है, उदास नहीं हैं।
नुजूम बुझते रहें तीरगी उमड़ती रहे मगर यकीने-सहर है जिन्हें, उदास नहीं
उफुक धड़क तो रहा है, सुझाई दे कि न दे क्षितिज लाल होने लगा, सुर्ख होने लगा-सुझाई दे कि न दे।
शुफुक उबल तो रही है, दिखाई दे कि न दे लाली उमड़ तो रही है, सुबह करीब आती ही है—दिखाई दे कि न दे।
सुना है दो कदम आगे महक रहे हैं चमन सुना है-अभी तुमने सुना है। अभी मैंने कहा है, अभी तुमने देखा नहीं। स्वाभाविक है, संदेह उठेगा। सुनी बात, समझी बात तो नहीं हो सकती। सुनी बात, जानी बात तो नहीं हो सकती। कान, आंख तो नहीं है।
सुना है दो कदम आगे महक रहे हैं चमन वसंत आया है, फूल खिले हैं, बगीचे लहरा गए हैं—दो कदम आगे। दो के आगे एक का वसंत मौजूद है।
सुना है दो कदम आगे महक रहे हैं चमन
इसीलिए तो हवाओं में है लतीफ चुभन जब तुम बगीचे के करीब पहुंचने लगते हो तो हवाएं ठंडी होने लगती हैं। एक मनमोहक गंध नासापुटों को छूने लगती है। शीतलता शरीर का स्पर्श करने लगती है। हवा का गुणधर्म बदल जाता है।
मेरे पास अगर तुम्हें हवा का गुणधर्म बदलता मालूम पड़ता हो, बस काफी है। मैं भगवान हूं या नहीं, इसकी फिक्र छोड़ो; करना क्या है? दो कौड़ी की बात है। इससे तुम्हें लेना-देना क्या? इतना काफी है, अगर मेरे पास तुम्हें किसी हवा की थोड़ी सी भी गंध मिल जाती हो, जिससे भरोसा आता हो कि बगीचे पास हो सकते हैं।
सुना है दो कदम आगे महक रहे हैं चमन इसीलिए तो हवाओं में है लतीफ चुभन
इसीलिए तो अंधेरे में पड़ रही है शिकन अगर मेरे पास तुम्हें सूरज का दर्शन न हो, न हो; अगर अंधेरे में पड़ती एक प्रकाश की रेखा का भी पता चलता हो तो काफी है। तुम्हारे भरोसे के लिए पर्याप्त।
तुम्हें कोई सारी नदी को थोड़े ही सेतु बनाना है। तुम्हें कोई सारी पृथ्वी को थोड़े ही चमड़े से ढंक देना है। अपने पैर को ढंकने लायक चमड़ा मिल जाए, जूता बन
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