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एस धम्मो सनंतनो
पहला सूत्रः 'जिसने मार्ग पूरा कर लिया है, जो शोक-रहित है और सर्वथा
विमुक्त है, और जिसकी सभी ग्रंथियां प्रहीण हो गई हैं, उसे कोई दुख नहीं होता।' ___मार्ग क्या है? जिसे हम जीवन कहते हैं, वही मार्ग है। जीवन के अतिरिक्त कहीं
और मार्ग नहीं। जीवन के अनुभव में जो पक गया है, उसने मार्ग पूरा कर लिया है। तुमने अगर जीवन के अतिरिक्त कहीं और मार्ग खोजा तो भटकोगे। कोई और मार्ग नहीं है। यह क्षण-क्षण बहता जीवन, यह पल-पल बहता जीवन, यही मार्ग है। तुम मार्ग पर हो। __मनुष्य भटका है इसलिए कि उसने जीवन को तो मार्ग समझना छोड़ ही दिया, उसने जीवन के अतिरिक्त मार्ग बना लिए हैं। कभी उन मार्गों को धर्म कहता है, कभी योग कहता है। अलग-अलग नाम रख लिए हैं, बड़े विवाद खड़े कर लिए हैं। शब्दों के जाल में उलझ गया है।
और मार्ग आंखों के सामने है। मार्ग पैरों के नीचे है। तुम जहां खड़े हो, मार्ग पर ही हो। क्योंकि जहां भी तुम खड़े हो, वहीं से परमात्मा की तरफ राह जाती है। तुम पीठ किए भी खड़े हो तो भी तुम राह पर ही खड़े हो। तुम आंख बंद किए खड़े हो तो भी तुम राह पर ही खड़े हो।। __ तुम्हें समझ हो या न हो, राह से बाहर जाने का कोई उपाय नहीं। क्योंकि उसकी राह आकाश जैसी है। उसकी राह कोई पटे-पटाए मार्गों का नाम नहीं है, राजपथ नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पगडंडी खोज लेनी है। और इस पगडंडी को अगर ठीक से समझो तो खोजना क्या है ? मिली हुई है; समझना है। ___ जीवन मार्ग है। जीवन के सुख-दुख मार्ग हैं। जीवन की सफलताएं-असफलताएं मार्ग हैं। भटक-भटककर ही तो आदमी पहुंचता है। गिर-गिरकर ही तो आदमी उठता है। चूक-चूककर ही तो आदमी का निशाना लगता है। जब तुम्हारा तीर निशाने पर लग जाए तो क्या तुम उन भूलों को धन्यवाद न दोगे, जब तुम्हारा तीर निशाने पर चूक-चूक गया था? उनके कारण ही अब निशाने पर लगा है। जब तुम खड़े हो जाओगे तो क्या गिरने को तुम धन्यवाद न दोगे? क्योंकि अगर गिरते न, तो कभी खड़े न हो पाते। ____ पुण्य का जब आविर्भाव होता है तो पाप तक को धन्यवाद का भाव उठता है।
और परमात्मा की जब प्रतीति होती है तो संसार के प्रति भी अहोभाव होता है। अगर निंदा रह जाए तो जानना, कहीं चूक हो गई, कहीं भूल हो गई। अगर निंदा रह जाए तो जानना कि अभी गिरने की संभावना बाकी रह गई है, मार्ग पूरा न हुआ।
जो पहुंचता है, लौटकर देखता है तो पाता है, सबने मिलकर पहुंचाया। उसमें भूल-चूकों का भी हाथ है, धूप-छाया का, सबका हाथ है। उसमें मित्र और शत्रुओं
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