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एस धम्मो सनंतनो तुम वहां तैयार करते हो। अपने को गंवाकर, अपने को मिटाकर अंगारे पैदा करते हो। फिर उन्हें फेंकते हो दूसरों पर, कि दूसरे भी जलें। तुम पहले ही जल चुके होते हो।
तुम से बहुत बार कहा गया है कि क्रोध मत करना, दंड पाओगे। मैं तुमसे कहता हूं कि क्रोध मत करना, क्योंकि क्रोध के पहले ही तुम दंड पा चुके होते हो। क्रोध के बाद दंड मिले, यह बात ही गलत। कौन देगा बाद में दंड? कोई नियंता नहीं बैठा है। नियंता होता तो तुम उससे बचने की तरकीब भी निकाल लेते। वकील खड़े कर लेते। रिश्वत खिला देते। बहुत यही कर रहे हैं। वे सोचते हैं, प्रार्थना एक रिश्वत है। पूजा एक रिश्वत है। पुजारी एक वकील है। जरा इसका आना-जाना है भगवान के पास, इसके सहारे वे अपनी भी खबर पहुंचा देते हैं।
नहीं, गाली देने के पहले ही तुम्हें दंड मिल चुका। लोभ करने के पहले ही, लोभ के पालने में ही तुम सड़ चुके। अब और दंड की कोई जरूरत नहीं है। काफी हो गई बात।
समझ का दूसरा उपयोग है, क्रोध को समझो; सहारा मत दो। और जैसे ही तुम बिना सहारा दिए क्रोध को देखोगे, तुम पाओगे, यह तो जहर था। यह तो आत्मघात था। तुम कर क्या रहे थे अब तक? अपने को मिटाने में लगे थे! तुम हटने लगोगे दूर। और जो ऊर्जा, जो शक्ति क्रोध में संलग्न होकर व्यर्थ नष्ट होती थी, विध्वंस होती थी, वही ऊर्जा करुणा बन जाएगी।
जब क्रोध हटता है तो करुणा पैदा होती है। क्योंकि ऊर्जा को कहीं तो जाना होगा। जब कांटे न बनेंगे तो ऊर्जा मुक्त होगी, फूल बनेगी। जो लोभ बनती थी ऊर्जा, वही दान बनेगी। जो काम बनती थी ऊर्जा, वही प्रेम बनेगी। . ___ और अनंत सीढ़ियां हैं आत्म-जीवन की। धीरे-धीरे तुम ऊपर उठते जाते हो। गुरुत्वाकर्षण तुम्हें खींचता नहीं। एक ऐसी घड़ी आती है सदधर्म की, जहां तुम्हें पंख लग जाते हैं; जहां तुम प्रसादरूप हो जाते हो; जहां तुम्हें कोई बाधा नहीं रह जाती।
करे जो हिम्मत तो कुछ फजाएं इन आसमानों के पार भी हैं करे जो हिम्मत तो कुछ फजाएं इन आसमानों के पार भी हैं
ये मैंने माना सकू मयस्सर तुझे तहे-आसमां नहीं है यह मैंने माना कि जहां तुम हो, जैसे तुम जी रहे हो, जिस आसमान के तले तुमने अपना घर बनाया है, बड़ा छोटा है। आंगन तुम्हारा बहुत छोटा है, रहने योग्य नहीं। तुम जिस काल-कोठरी में रह रहे हो; काम, क्रोध, लोभ, मोह से तुमने जो अपने आसपास घर बना लिया है, वह नर्क है।
ये मैंने माना सकू मयस्सर तुझे तहे-आसमां नहीं है यह जो छोटा सा आसमान तुम्हारे जीवन का है, इसके नीचे कोई सुकून, कोई शांति, कोई आनंद संभव नहीं है, यह माना। लेकिन घबड़ाने की कोई बात नहीं है!
करे जो हिम्मत तो कुछ फजाएं इन आसमानों के पार भी हैं