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बुद्धि, बुद्धिवाद और बुद्ध
पहला प्रश्नः
भगवान बुद्ध का मार्ग संदेह के स्वीकार से शुरू होता है। क्या उनका युग भी आज के युग जैसा ही बुद्धिवादी था, संदेहवादी था? और क्या आज के समय में धम्मपद सबसे ज्यादा प्रासांगिक है?
न हीं -बुद्ध का युग तो बुद्धिवादी नहीं था; न ही संदेहवादी था। बुद्ध अपने
समय से बहुत पहले पैदा हुए थे। अब ठीक समय था बुद्ध के लिए-पच्चीस सौ साल बाद।
बुद्ध जैसे व्यक्ति सदा ही अपने समय के पहले होते हैं। जमाने को बड़ी देर लगती है उस जगह पहुंचने में, जो बुद्ध पुरुषों को पहले दिखाई पड़ जाता है। बुद्धत्व का अर्थ है देखने की ऊंचाइयां। जैसे कोई पहाड़ पर चढ़कर देखे, दूर सैकड़ों मील तक दिखाई पड़ता है। और जैसे कोई जमीन पर खड़े होकर देखे तो थोड़ी ही दूर तक आंख जाती है।
बुद्ध पुरुष सदा ही अपने समय के पहले होते हैं। और इसलिए बुद्ध पुरुषों को सदा ही उनका समय, उनका युग इंकार करता है, अस्वीकार करता है। बुद्ध ने जो
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