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________________ मंथन कर, मंथन कर क्यों? क्योंकि तुमने जिस हानि-लाभ की दुनिया को समझा है जीवन, वह तो मौत छीन लेगी। तुमने जिसे जीवन समझा है, वह मौत छीन लेगी। और असली जीवन को तो तुमने समझा ही नहीं। ___मगर एक बात खयाल रखना, बुद्ध पुरुषों की मृत्यु नहीं होती, क्योंकि तुम जिसे जीवन कहते हो, उसे वे मौत के पहले ही छोड़ देते हैं। इसका अर्थ हुआ कि तुम जिसे जीवन कहते हो, उस अर्थ में तो वे मरने के पहले ही मर जाते हैं, मृतवत हो जाते हैं। और यहां मृतवत हो जाते हैं—बाहर के जगत में, बहिर्यात्रा पर-अंतर्यात्रा में सूर्योदय हो जाता है। बाहर लगती है सूली तो भीतर सिंहासन मिल जाता है। मिट्टी में कोई बीज गिरा मतलब है इसका सीधा सा लो उसकी खुल तकदीर गई जो राज दिया था दिल में रख अब मिली इजाजत खोले वह कली कोंपल किसलय कुसुमों की मनचाही भाषा बोले वह बस एक वक्त के धक्के से वह लाचारी की फौलादी मजबूत तड़क जंजीर गई मिट्टी में कोई बीज गिरा मतलब है इसका सीधा सा लो उसकी खुल तकदीर गई मगर मिट्टी में जब बीज गिरता है तो एक अर्थ में तो मरता है। मिट्टी में गिरने का अर्थ मरना है, कब्र का बनना है। बीज जब गिरता है तो मिटता है, सड़ता है, खोल टूटती है। एक तरफ से मृत्यु घटित होती है। और एक दिन अचानक, जिस दिन यह मृत्यु पूरी होती है, उसी दिन अंकुरण होता है, नवजीवन का सूत्रपात होता है। . लो उसकी खुल तकदीर गई अब जीवन प्रगटा। अब मिली इजाजत खोले वह कली कोंपल किसलय कुसुमों की मनचाही भाषा बोले वह बीज तो बंद था, बोलने की सुविधा कहां थी? बीज तो बंद था, गीत के अंकुरित होने की सुविधा कहां थी? बीज तो कारागृह में था, गहन प्रसुप्ति में सोया था, खुले आकाश में उठने का मौका कहां था? बीज तो पत्थर की तरह था, फूल कैसे खिलते उसमें? 249
SR No.002380
Book TitleDhammapada 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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