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________________ एस धम्मो सनंतनो की कोशिश कर रहे हो। तुम्हें खुद तरीका नहीं आया जीवन का, तुम्हारे खुद ढंग-ढौल रास्ते पर नहीं हैं। तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हें बिगाड़ा सेवा करके, तुम अपने बच्चों को बिगाड़ रहे हो सेवा करके। नेताओं से पूछो, वे कहते हैं कि देश को हम आगे ले जाने के लिए प्राण लगाए हुए हैं। जनता से पूछो, वे कहते हैं, ये सब शरारती हैं, सब चालबाज हैं, सब बेईमान हैं। कोई निक्सन पकड़ा गया, कोई नहीं पकड़ा गया, बाकी हैं सब एक से। नेता जान गंवाए दे रहा है और वह सोच रहा है कि शहीद हुआ जा रहा है। जनता कहती है, तुम शहीद हो ही जाओ, फिर हम तुम्हारे मजार पर मेले भरेंगे, मगर तुम शहीद तो हो जाओ! किसी तरह हमारी गर्दन से नीचे उतरो। बहुत छाती पर बैठ लिए, हटो! इसलिए जैसे ही कोई नेता गद्दी से नीचे उतरा, जनता बिलकुल भूल जाती है। याद ही नहीं आती; अखबारों से नाम खो जाता है, लोगों की जबान से नाम खो जाता है, लोग बिलकुल भूल जाते हैं। माजरा क्या है? मामला क्या है? ___ मैंने सुना है, एक ईसाई पादरी ने रविवार की धर्मकक्षा में अपने बच्चों को समझाया कि कम से कम एक सेवा का काम रोज करना चाहिए। दूसरी बार उसने पूछा, तीन लड़कों ने हाथ हिलाया कि हमने सेवा का काम किया, आज ही किया। वह बहुत खुश हुआ। उसने पहले से पूछा, क्या सेवा का काम किया? उसने कहा कि एक बूढ़ी स्त्री को रास्ता पार करवाया। इस तरफ से उस तरफ जाना था, ट्रेफिक भारी था, कारें दौड़ रहीं, बसें दौड़ रही, साइकिलें! बुढ़िया काफी बूढ़ी थी, उसको पार करवाया। पादरी ने कहा, परमात्मा इसका फल देगा, मैं खुश हूं। दूसरे से पूछा कि तूने क्या किया? उसने कहा, मैंने भी बुढ़िया को रास्ते के पार करवाया। थोड़ा पादरी चिंतित हुआ, इतनी बुढ़ियाएं एकदम कहां से आ गयीं! तीसरे से पूछा, उसने कहा कि मैंने भी बुढ़िया को रास्ते के पार करवाया। उसने कहा, तुम सबको इतनी बुढ़ियाएं मिल गयीं? आज ही? उन्होंने कहा, बुढ़िया तो एक ही थी, हम तीनों को करवाना पड़ा, क्योंकि वह उस तरफ जाना ही न चाहती थी। मगर करवा दिया पार! तुम्हारे सेवक, तुम पैर नहीं भी दबवाना चाहते, तो दबाए जा रहे हैं। मेरे साथ ऐसा बहुत बार हुआ। एक बार एक भक्त रात को दो बजे–मैं ट्रेन से सफर कर रहा था—रात को दो बजे डब्बे में चढ़ आया। उसने मेरे पैर दबाने शुरू कर दिए। अचानक मेरी नींद खुली। मैंने पूछा, भाई कौन हो? क्या कर रहे हो? उसने कहा कि आप सोए रहें निश्चित, मैं तो सेवा कर रहा हूं। कई दिन से इच्छा रही है, लेकिन आपके भक्तगण भीतर घुसने ही नहीं देते। तो मैंने कहा, ठीक है देख लेंगे, सेवा तो करके ही रहेंगे। आप तो सोएं, मैं पैर दबाऊंगा। . ___मैंने कहा, महाजन! मैं सोऊंगा कैसे, तू इतने जोर से पैर दबा रहा है? तुझे मेरी फिक्र नहीं है कि दो बजे रात सोए आदमी को उठा दिया! 144
SR No.002380
Book TitleDhammapada 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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