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मौन में खिले मुखरता
होगी कभी, लाश चलती रही होगी। कभी इस लाश में भी जीवन रहा होगा। इन आंखों में भी दीए जलते होंगे कभी। कभी इन हृदयों में भी धड़कन रही होगी। कभी इन ने भी लोगों को छुआ होगा, बदला होगा। कभी इनके कारण लाखों लोग नए जीवन को उपलब्ध हुए होंगे-सच, माना।
लेकिन अब? इसी मां ने तुम्हें जन्म दिया था, इसी मां की तुम अर्थी बांधकर ले चले! थोड़ा कठोर होना पड़ता है। रोओ, रोने से कुछ मनाही नहीं है। आंसू गिरेंगे, स्वाभाविक है। लेकिन यह भूल मत करना कि लाश को घर में रखकर बैठ जाओ, कि यह मां की लाश है, इसे कैसे जला सकते हैं? अगर मां की लाश घर में रख ली तो जो जिंदा हैं, उनके लिए रहना मुश्किल हो जाएगा। और अगर ऐसी लाशें तुम इकट्ठी करते चले गए तो घर न होंगे, मरघट होंगे।
थोड़ा सोचो तो, जितने लोग तुम्हारे परिवार में मर चुके हैं अब तक, अगर सबकी लाश बचा ली गई होती, तुम्हें रहने को जगह होती घर में? घर की छोड़ो, जमीन पर जगह होती? तुम जहां बैठे हो, वैज्ञानिक कहते हैं, एक-एक आदमी जहां बैठा है, वहां कम से कम दस आदमियों की कब्र बन चुकी है उस जगह पर। अगर सब मुर्दे बचा लिए गए होते तो जमीन पर जिंदा आदमियों को रहने को जगह होती? मुर्दे ही सब जगह घेर लेते। उनके लिए भी जगह काफी न होती। जिंदा आदमी तो पागले हो जाते। जिंदा आदमी तो सिर फोड़ लेते, आत्महत्या कर लेते, खुदकुशी कर लेते, जहर खा लेते। इतने मुर्दो के बीच कैसे जीते? अच्छा हुआ कि लोगों ने लाशें इकट्ठी नहीं की।
लेकिन धर्म की दुनिया में ऐसा नहीं हो पाया; लोग लाशें इकट्ठी कर लेते हैं। फिर उन मुर्दो के कारण तुम जी भी नहीं पाते। तुम्हारे मंदिर-मस्जिद सिर्फ लड़वाते हैं, पहुंचाते कहां हैं? तुम्हारे मंदिर-मस्जिद तुम्हें परमात्मा की तरफ तो दूर, तुम्हें आदमी तक भी नहीं होने देते।
हमें दैरो-हरम के तफरकों से काम ही क्या है।
सिखाया है किसी ने अजनबी बनकर गुजर जाना । यही मैं तुम्हें सिखा रहा हूं। मुर्दा लाशों के पास से सम्मानपूर्वक, श्रद्धा के दो फूल चढ़ाकर, लेकिन अपने दामन को बचाकर निकल जाना। मुर्दा लाशों से ज्यादा नेह मत लगाना, क्योंकि मुर्दो को जो ज्यादा प्रेम करेगा, वह खुद भी मुर्दा हो जाएगा। हम वही हो जाते हैं जो हमारा प्रेम है। ___ जीवंत को खोजना, अगर जीवन चाहते हो।
सदगुरु को खोजना, अगर जीवन चाहते हो।
लेकिन लोग अजीब हैं। लोग मुर्दो पर ज्यादा भरोसा रखते हैं। उसका कारण है, और कारण यह है कि मुर्दो के साथ तुम जो चाहो कर सकते हो। जिंदा सदगुरु के साथ तुम जो चाहोगे वह न कर सकोगे; वह जो चाहेगा वही होगा। मरे बुद्ध की
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