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अनंत छिपा है क्षण में
पहला प्रश्न:
आप श्रद्धा, प्रेम, आनंद की चर्चा करते हैं, लेकिन आप शक्ति के बारे में क्यों नहीं समझाते? आजकल मुझमें असह्य शक्ति का आविर्भाव हो रहा है। यह क्या है और इस स्थिति में मुझे क्या रुख लेना चाहिए?
शक्ति की बात करनी जरूरी ही नहीं। जब शक्ति का आविर्भाव हो तो प्रेम में
उसे बांटो, आनंद में उसे ढालो। उसे दोनों हाथ उलीचो। शक्ति के आविर्भाव के बाद अगर उलीचा न, अगर बांटा न, अगर औरों को साझीदार न बनाया, अगर प्रेम के गीत न गाए, उत्सव पैदा न किया जीवन में, तो शक्ति बोझ बन जाएगी। तो शक्ति पत्थर की तरह छाती पर बैठ जाएगी। फिर शक्ति से समस्या उठेगी।
गरीबी की ही समस्याएं नहीं हैं संसार में, अमीरी की बड़ी समस्याएं हैं। लेकिन अमीर की सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो धन उसे मिल गया, उसका क्या करे? पर यह भी कोई समस्या है ? उसे बांटो, उसे लुटाओ। बहुत हैं जिनके पास नहीं है, उन्हें दो।