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________________ उठो...तलाश लाजिम है पहला प्रश्न: जीवन विरोधाभासी है, असंगतियों से भरा है। तो फिर तर्क, बुद्धि, व्यवस्था और अनुशासन का मार्ग बुद्ध ने क्यों बताया? |प्रश्न जीवन का नहीं है। प्रश्न तुम्हारे मन का है। जीवन को मोक्ष की तरफ नहीं जाना है। जीवन तो मोक्ष है। जीवन नहीं भटका है, जीवन नहीं भूला है। जीवन तो वहीं है जहां होना चाहिए। तुम भटके हो, तुम भूले हो। तुम्हारा मन तर्क की उलझन में है। और यात्रा तुम्हारे मन से शुरू होगी। कहां जाना है, यह सवाल नहीं है। कहां से शुरू करना है, यही सवाल है। ____ मंजिल की बात बुद्ध ने नहीं की। मंजिल की बात तुम समझ भी कैसे पाओगे? उसका तो स्वाद ही समझा सकेगा। उसमें तो डूबोगे, तो ही जान पाओगे। बुद्ध ने मार्ग की बात कही है। बुद्ध ने तुम जहां खड़े हो, तुम्हारा पहला कदम जहां पड़ेगा, उसकी बात कही है। इसलिए बुद्ध बुद्धि, विचार, अनुशासन, व्यवस्था की बात करते हैं। नहीं कि उन्हें पता नहीं है कि जीवन कोई व्यवस्था नहीं मानता। जीवन कोई रेल की पटरियों पर दौड़ती हुई गाड़ी नहीं है। जीवन परम स्वतंत्रता है। जीवन के ऊपर कोई
SR No.002379
Book TitleDhammapada 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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