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तथाता में है क्रांति
__ और ध्यान रखना, प्रत्येक कदम होश का बुद्धत्व को करीब लाता है। प्रत्येक कदम होश का तुम्हारे भीतर बुद्धत्व के झरनों को सक्रिय करता है। मेघ किसी भी क्षण बरस सकता है। तुम-जरा संयोजन बदलो, और सब तुम्हारे पास है, कुछ जोड़ना नहीं है। और कुछ तुम्हारे पास.ऐसा नहीं है जिसे हटाना है। वीणा के तार ढीले हैं, टूटे हैं, जोड़ना है, व्यवस्थित कर देना है। अंगुलियां भी तुम्हारे पास हैं, वीणा भी तुम्हारे पास है। सिर्फ अंगुलियों का वीणा पर, वीणा के तारों पर खेलने का संयोजन करना है। किसी भी क्षण संयम बैठ जाएगा, संगीत उत्पन्न हो सकता है।
आज इतना ही।