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एस धम्मो सनंतनो
जिन्होंने खोज की पराकाष्ठा कर दी। वह हाथ उन्हीं को मिलता है जिन्होंने खोजने में कुछ भी रख न छोड़ा। अगर तुमने थोड़ी भी बचाई हुई है अपनी ताकत, तो तुम चालाक हो। तो तुम्हारी प्रार्थना व्यर्थ जाएगी। अगर तुमने सब दांव पर लगा दिया, तो तुम्हारी जीत निश्चित है। ___ यह काम जुआरियों का है, दुकानदारों का नहीं। धर्म जुआरियों का काम है, दुकानदारों का नहीं। हिसाब-किताब मत रखना कि चलो दो पैसा ताकत लगाकर देखें, एक आना ताकत लगाकर देखें, दो आना ताकत लगाकर देखें। ऐसे हिसाबकिताब से उसका हाथ तुम्हारे हाथ में न आएगा। क्योंकि तुम्हारी बेईमानी जाहिर है। जब तुम अपने को पूरा दांव पर लगा देते हो-पीछे कुछ छूटता ही नहीं-जब तुम स्वयं ही पूरे दांव पर बैठ जाते हो, उसी क्षण हाथ हाथ में आ जाता है। उस क्षण हाथ में न आए तो बड़ा अन्याय हो जाएगा। वैसा अन्याय नहीं है-देर है, अंधेर नहीं। और देर भी तुम्हरि कारण है।
यह कहावत तुमने सुनी है—देर है, अंधेर नहीं। लेकिन कहावत में लोग सोचते हैं कि देर उसकी तरफ से है। वहीं गलती है। देर तुम्हारी तरफ से है। तुम जितनी देर चाहो लगा दो। तुम बेमन से टटोल रहे हो। तुम टटोलते भी हो और डरे हो कि कहीं मिल न जाए। तुम ऐसे टटोलते भी हो और शंकित हो कि कहीं हाथ हाथ में आ ही न जाए, क्योंकि बड़ा खतरनाक हाथ है। फिर तुम तुम ही न हो सकोगे उसके बाद। उसकी एक झलक तुम्हें राख कर जाएगी। उसकी एक किरण तुम्हें सदा के लिए मिटा जाएगी। तुम जैसे हो वैसे न बचोगे। ___ हां, तुम जैसे होने चाहिए वैसे बचोगे, जो तुम्हारा स्वभाव है बचने का। जो कूड़ा-करकट तुमने अपने चारों तरफ इकट्ठा कर लिया है, पद का, प्रतिष्ठा का, नाम का, रूप का, वह सब जलकर राख हो जाएगा। तो तुम्हारी प्रार्थना-परमात्मा से तुम्हारी प्रार्थना-बस एक ही हो सकती है, और वह प्रार्थना है कि यह मेरा जो कूड़ा-करकट है, जिसको मैंने समझा कि मैं हूं, इसे मिटा।
जिंदगी दरिया-ए-बेसाहिल है और किश्ती खराब
मैं तो घबराकर दुआ करता हूं तूफां के लिए तुम्हारी बस एक ही प्रार्थना हो सकती है कि तुम तूफान के लिए प्रार्थना करो।
जिंदगी दरिया-ए-बेसाहिल है-किनारा कहीं दिखाई नहीं पड़ता। सारी जिंदगी का अनुभव यही है कि किनारा कहीं नहीं है। और किश्ती खराब-और नाव टूटी-फूटी; अब डूबी, तब डूबी! मैं तो घबराकर दुआ करता हूं तूफां के लिए-तो मैं एक ही प्रार्थना करता हूं कि परमात्मा तूफान भेज दे। __ जरा अपनी किश्ती को गौर से तो देखो। जरा अपने चारों तरफ आंख खोलकर देखो, किनारे कहां हैं! सपने देखे हैं तुमने किनारों के, आशाएं संजोई हैं तुमने किनारों की, किनारे हैं कहां? तुम डरते हो आंख उठाने में भी कि कहीं ऐसा न हो कि किनारा
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