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एस धम्मो सनंतनो
की समझ का । वे दोनों एक ही चीज के दो नाम हैं। और तुम यह जान लेना कि तुम नासमझ हो और समाधिशून्य हो। इसे जानकर ही अगर तुम चलोगे तो जिसको बुद्ध ने कहा है शिष्य, तुम शिष्य हो गए।
और जीवन को वे ही जीत लेते हैं जो सीखने में समर्थ हैं। और धर्म का फूलों से भरा पथ उन्हीं को उपलब्ध हो जाता है जिनके जीवन में शिष्यत्व की संभावना, शिष्यत्व का स्रोत खुल गया।
आज इतना ही।
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