________________
केवल शिष्य जीतेगा
उसके गले तक ईंटें आ गयीं, क्योंकि वह खुद कैद हो गया। तब वह चिल्लाया कि बचाओ! ___ मैं उसे देख रहा था, और मुझे लगा, यही आदमी की अवस्था है। तुम ही अपने चारों तरफ ईंटें जमा लेते हो, जिसको तुम जिंदगी कहते हो। फिर एक दिन तुम पाते हो कि गले तक डूब गए। तब चिल्लाते हो कि बचाओ।
तमने ही रखी हैं ईंटें, चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं। जिस ढंग से रखी हैं उसी ढंग से गिरा दो। तुमने ही रखी हैं, तुम ही उठा सकते हो। कारागृह तुम्हारा ही बनाया हुआ है, किसी और ने तुम्हें कारागृह में बंद नहीं किया है। खेल-खेल में बना लिया है। खेल-खेल में ही आदमी बंद हो जाता है। जंजीरों में उलझ जाता है।
चलने को चल रहा हूं पर इसकी खबर नहीं
मैं हं सफर में या मेरी मंजिल सफर में है अब ऐसे मत चलो। अब जरा जागकर चलना हो जाए। अब जरा होश से चलो। अब जरा देखकर चलो। जितने जागोगे, उतना पाओगे मंजिल करीब। जिस दिन पूरे जागोगे, उस दिन पाओगे मंजिल सदा भीतर थी।
आज इतना ही।
125