________________
एस धम्मो सनंतनो
पास है ही, बिठाना भर है। श्रद्धा तुम्हारे पास है नहीं अभी । होती तो बैठ जाती । जिनके पास है, बैठ गयी है। जिनके पास श्रद्धा ही नहीं है, बैठेगी कैसे ?
तुम्हारी हालत ऐसी है कि मैंने सुना कि मुल्ला नसरुद्दीन आंख के डाक्टर के पास गया। और उसने कहा कि आंख बड़ी कमजोर है। तो डाक्टर ने कहा कि कोई फिकर न करो। पढ़ो सामने तख्ती पर यह बारहखड़ी लिखी है। उसने कहा, कुछ दिखायी नहीं पड़ता । कुछ नहीं ? उसने कहा, कुछ दिखायी नहीं पड़ता । तो उसने कहा कि आंख बहुत कमजोर है, चश्मा लग जाएगा, सब ठीक हो जाएगा। नसरुद्दीन ने कहा, तो फिर मैं पढ़ सकूंगा? उसने कहा, बिलकुल पढ़ सकोगे । नसरुद्दीन ने कहा, धन्यभाग ! क्योंकि मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं ।
अब चश्मा लगाने से थोड़े ही तुम पढ़े-लिखे हो जाओगे। मुझे सुन-सुनकर थोड़े ही श्रद्धा बैठ जाएगी। श्रद्धा होनी भी तो चाहिए ! तो पहले तो तुममें मैं श्रद्धा पैदा करने की कोशिश कर रहा हूं।
श्रद्धा पैदा नहीं होती, घबड़ाओ मत। जल्दी भी कोई नहीं है। झूठी श्रद्धा मत करना, पहली बात। जब तक न हो, करना मत । प्रतीक्षा करना । जल्दबाजी मत करना। क्योंकि जिसने झूठी कर ली, वह सच्ची श्रद्धा से सदा के लिए वंचित रह जाएगा। संदेह करो, हर्ज क्या है? अभी संदेह है तो संदेह ही करो। कुछ तो करो। श्रद्धा नहीं सही, संदेह सही । संदेह से ही धीरे-धीरे श्रद्धा की तरफ उठोगे । संदेह करते-करते जब तुम पाओगे कि संदेह थकता है और गिरता है। मैं जो कह रहा हूं तुम उसे संदेह से काट न सकोगे। मैं जो कह रहा हूं वह तुम्हारे संदेह को काट देगा । होने दो संघर्ष | जल्दी कुछ नहीं है ।
और तुम कहते हो कि 'आपके सारे शब्द झूठ प्रतीत होते हैं । '
ठीक ही है बात | होंगे ही। क्योंकि तुम जहां खड़े हो वहां तुमने झूठ को सच मान रखा है। इसलिए जब तुम सच को पहली बार सुनोगे, वह झूठ मालूम होगा । और थोड़ा सोचो। अंधी श्रद्धा मत करना । सच्ची अश्रद्धा भी बेहतर है झूठी श्रद्धा से। ईमानदार रहना । प्रामाणिक रहना ।
और तुम पूछते हो कि 'फिर भी यहां से चले जाने का मन क्यों नहीं होता ?'
शायद तुम्हें पता न हो, तुम्हारे भीतर कहीं श्रद्धा का अंकुरण शुरू हो गया होगा। खुद भी खबर लगने में देर लगती है। जो हृदय में शुरू होता है, बुद्धि तक खबर पहुंचने में कई दफे वर्षों लग जाते हैं। इसलिए भाग भी नहीं सकते। फंस गए। अब जाने का उपाय भी नहीं है। और अभी श्रद्धा भी नहीं हुई है और भागना मुश्किल हो गया है, तो थोड़ा सोचो, जब श्रद्धा हो जाएगी तब कैसी गति होगी ?
सौभाग्यशाली हो कि श्रद्धा भी नहीं हुई है, शब्द झूठ भी लगते हैं, फिर भी हृदय जाने नहीं देता। हृदय तुम्हारे पास कीमती है। तुम्हारी बुद्धि और खोपड़ी से ज्यादा मूल्यवान है। तुमसे ज्यादा बड़ी चीज तुम्हारे भीतर छिपी है, वह तुम्हें जाने
543190