________________ इन धम्मपद के वचनों को तराश रहा हूं, तुम्हारे - योग्य बना रहा हूं। यह धम्मपद का पुनर्जन्म है। यह धम्मपद को नयी भाषा, नया अर्थ, नयी भंगिमा, नयी देह, नये प्राण देने का प्रयास है। और जब फिर से जन्म हो जाये धम्मपद का, जैसे बुद्ध आज बोल रहे हों, तभी तुम्हारी आत्मा में संवेग होगा, तभी तुम्हारी आत्मा में रोमांच होगा। तभी तुम आंदोलित होओगे। तभी तुम कंपोगे-डोलोगे। A REBET BOOK