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आत्मक्रांति का प्रथम सूत्र : अवैर
और के हाथ में तुम हो, मौत के बाद किसी और के हाथ में, तो यह बीच की थोड़ी सी जो घड़ियां हैं, इनमें तुम अपने को सोच लेते हो अपने हाथ में, वहीं भ्रांति हो जाती है। वही अहंकार तुम्हें जगने नहीं देता । वही अहंकार सोने की नयी तरकीबें, व्यवस्थाएं खोज लेता है।
इसलिए बुद्धपुरुष आते हैं। उनके तीर ठीक तरकस से तुम्हारे हृदय की तरफ निकलते हैं। पर तुम बचा जाते हो ।
हजारों खिज्र पैदा कर चुकी है नस्ल आदम की
आदमी ने कितने बुद्धपुरुष पैदा किए ! हजारों खिज्र - पैगंबर, तीर्थंकर ! हजारों खिज्र पैदा पर चुकी है नस्ल आदम की
ये सब तस्लीम लेकिन आदमी अब तक भटकता है
यह सब तस्लीम, यह सब स्वीकार कि हजारों बुद्धपुरुष हुए हैं। पर इससे क्या फर्क पड़ता है ? आदमी अब तक भटकता है। आदमी भटकना चाहता है । कहता तो आदमी यही है कि भटकना नहीं चाहता। कहते तो तुम मेरे पास यही हो, शांत होना चाहते हैं, सत्य होना चाहते हैं, सरल होना चाहते हैं। लेकिन सच में तुम होना चाहते हो? या कि सरलता के नाम पर तुम नयी जटिलता खोज रहे हो ? या सत्य के नाम पर तुमने नए झूठों की तलाश शुरू की है? या शांति के नाम पर अब तुमने एक नया रोग पाला ? अब तुम शांति के नाम पर अशांत होने को उत्सुक हुए हो ? साधारण आदमी अशांत होता है सिर्फ; शांति की तो कम से कम चिंता नहीं होती । अब तुम शांति के लिए भी चिंतित हुए। पुरानी अशांति तो बरकरार, अब तुम और धन करोगे उसमें, गुणनफल करोगे । अब तुम कहोगे कि शांति भी चाहिए। अब एक नयी अशांति जुड़ी, कि शांति नहीं है। झूठ तो तुम थे; अब तुम कहते हो, सत्य खोजेंगे। अब तुम सत्य के नाम पर कुछ नए झूठ ईजाद करोगे - स्वर्ग के, मोक्ष के, नर्क के, परमात्मा के, आकाश के ।
मंदिरों में जाओ, स्वर्गों के नक्शे टंगे हैं- पहला स्वर्ग, दूसरा स्वर्ग; पहला - खंड, दूसरा खंड, तीसरा खंड, सच खंड तक; नक्शे टंगे हुए हैं। "आदमी की मूढ़ता की कोई सीमा है, कोई अंत है ! अपने घर का नक्शा भी तुमसे बनेगा नहीं। अपना भी नक्शा तुम बना न सकोगे कि तुम क्या हो, कहां हो, कौन हो; तुमने स्वर्ग के नक्शे बना लिए !
एक दुकान पर एक शिकारी कुछ सामान खरीद रहा था । अफ्रीका जा रहा था शिकार करने। कहीं जंगल में भटक न जाए, इसलिए उसने एक यंत्र खरीदा : दिशासूचक यंत्र, कॅम्पास । और तो सब ठीक था, उसने खोलकर देखा, लेकिन कॅम्पास में पीछे एक आईना भी लगा था । यह उसकी समझ में न आया। क्योंकि यह कोई कॅम्पास है या किसी स्त्री का साज-श्रृंगार का सामान ? इसमें आईना किसलिए लगा है? यह दिशासूचक यंत्र है, इसमें आईने की क्या जरूरत? उसने दुकानदार से
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