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एस धम्मो सनंतनो
वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गयी फुर्सत हमें गुनाह भी करने को जिंदगी कम है।
कौन हैं जिन्हें प्रायश्चित्त करने का भी समय मिल गया ? हमको तो पाप करने के लिए भी जिंदगी कम मालूम पड़ रही है। प्रायश्चित्त ?
वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गयी फुर्सत हमें गुनाह भी करने को जिंदगी कम है
इतने धीमे तुम चल रहे हो । चलना कहना ठीक नहीं, तुम घसिट रहे हो । इसलिए तुम्हें जिंदगी कम है। जो होश से चलता है, उसे जिंदगी अनंत है ।
यह बड़े आश्चर्य की बात है कि समय उतना ही कम मालूम पड़ेगा तुम्हें, जितने तुम सोए हुए हो । जितने तुम जागे हुए हो, उतना ही समय अनंत हो जाता है। जागे हुए व्यक्ति को एक-एक क्षण अनंतता हो जाता है। क्योंकि जागे हुए व्यक्ति को समय का विस्तार ही नहीं दिखायी पड़ता, गहराई भी दिखायी पड़ती है। तुम ऐसे हो जैसे सागर के किनारे खड़े हो और सागर की सतह भर तुम्हें दिखायी पड़ती है। जागा हुआ आदमी ऐसा है जैसे सागर में डुबकी ली; उसे सतह तो दिखायी पड़ती है, सागर की गहराई भी दिखायी पड़ती है। अगर एक क्षण से तुम दूसरे क्षण पर गए, दूसरे से तीसरे क्षण पर गए - अ से ब पर, ब से स पर - तो तुम्हें अनंतता का कभी पता ही न चलेगा। अगर तुम प्रत्येक क्षण की गहराई में गए, तो वह गहराई अथाह है। तब तुम्हें अनंतता का पता चलेगा। और जब एक-एक क्षण अनंत हो जाए, तो सब क्षण मिलकर कितनी अनंतताएं न हो जाएंगी!
इसलिए महावीर ने एक शब्द प्रयोग किया है, जो कभी किसी ने प्रयोग नहीं किया, वह है : अनंतानंत। इनफिनिट इनफिनीटीज । वेद और उपनिषद एक ही अनंत की बात करते हैं। वे कहते हैं: परमात्मा अनंत है। महावीर कहते हैं : मोक्ष अनंतानंत है। क्योंकि प्रत्येक चीज दो दिशाओं में अनंत है— फैलाव में और गहराई में । और इसलिए अंतिम हिसाब में अनंत गुणित अनंत ।
बड़ा विस्तार है। लेकिन होश जितना बढ़ता जाए, उतना ही विस्तार बढ़ता चला जाता है।
'प्रमादी लोगों में अप्रमादी, और सोए लोगों में बहुत जाग्रत पुरुष वैसे ही आगे निकल जाता है जैसे तेज घोड़ा मंद घोड़े से आगे निकल जाता है।'
'जो भिक्षु अप्रमाद में रत है, अथवा प्रमाद में भय देखता है, वह आग की भांति छोटे-मोटे बंधनों को जलाते हुए बढ़ता है।'
बंधन छोड़ने थोड़े ही हैं। इसे थोड़ा समझो। थोड़ा नहीं इसे बहुत समझो। बंधन छोड़ने थोड़े ही हैं, बंधन जलाने हैं। क्योंकि छोड़े बंधन फिर बंध सकते हैं। बंधन जलाकर राख कर देने हैं । और मजा यह है कि जो छोड़ता है, वह कभी नहीं छोड़ पाता; लेकिन जो जागता है, वह अचानक पाता है, वे जल गए। क्योंकि बंधन हैं
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