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एस धम्मो सनंतनो
उस धागे के सहारे और मोटे धागे पकड़ में आते चले गए।
तुम्हारा प्रेम अभी बड़ा महीन धागा है, बहुत कचरे-कूड़े से भरा है। इसलिए जब धर्मगुरु तुम्हें समझाते हैं कि तुम्हारा प्रेम पाप है, तो तुम्हें भी समझ में आ जाता है; क्योंकि वह कूड़ा-कर्कट तो बहुत है, हीरा तो कहीं दब गया है। इसलिए तो धर्मगुरु प्रभावी हो जाते हैं, क्योंकि तुम्हें भी उनकी बात तर्कयुक्त लगती है कि तुम्हारे प्रेम ने सिवाय आसक्ति के, राग के, दुख के, पीड़ा के, और क्या दिया! तुम्हारे प्रेम ने तुम्हारे जीवन को कारागृह के अतिरिक्त और क्या दिया! तुम्हें भी समझ में आ जाती है बात कि यह प्रेम ही बंधन है।
लेकिन मैं तुमसे कहता हूं कि जिस कूड़ा-कर्कट को तुम प्रेम समझ रहे हो, उसी को धर्मगुरु भी प्रेम कहकर निंदा कर रहा है। लेकिन तुम्हारे कूड़ा-कर्कट में एक पतला सा धागा भी पड़ा है, जिसे शायद तुम भी भूल गए हो। उस धागे को मुक्त कर लेना है। क्योंकि उसी धागे के माध्यम से तुम कारागृह के बाहर जा सकोगे।
ध्यान रखना, इस सत्य को बहुत खयाल में रख लेना कि जो बांधता है उसी से मुक्ति भी हो सकती है। जंजीर बांधती है तो जंजीर से ही मुक्ति होगी। कांटा गड़ जाता है, पीड़ा देता है, तो दूसरे कांटे से उस कांटे को निकाल लेना पड़ता है। जिस रास्ते से तुम मेरे पास तक आए हो, उसी रास्ते से वापस अपने घर जाओगे, सिर्फ रुख बदल जाएगा, दिशा बदल जाएगी। आते वक्त मेरी तरफ चेहरा था, जाते वक्त मेरी तरफ पीठ होगी। रास्ता वही होगा, तुम वही होओगे। प्रेम के ही माध्यम से तुम संसार तक आए हो, प्रेम के ही माध्यम से परमात्मा तक पहुंचोगे; रुख बदल जाएगा, दिशा बदल जाएगी।
( सितारों के आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं, जिसे तुमने प्रेम समझा, वह अंत नहीं है।
अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं अभी प्रेम की और भी मंजिलें हैं, और प्रेम के अभी और भी इम्तिहान हैं, परीक्षाएं हैं। और प्रेम की आखिरी परीक्षा परमात्मा है।
ध्यान रखना, जो तुम्हें फैलाए वही तुम्हें परमात्मा तक ले जाएगा। प्रेम फैलाता है, भय सिकुड़ाता है।
संसार से डरो मत, परमात्मा से भरो। जितने ज्यादा तुम परमात्मा से भर जाओगे, तुम पाओगे, तुम संसार से मुक्त हो गए। संसार तुम्हें पकड़े हुए मालूम पड़ता है, क्योंकि तुम्हारे हाथ में कुछ और नहीं है। आदमी के पास कुछ न हो तो कंकड़-पत्थर भी इकट्ठे कर लेता है। हीरे की खदान न हो तो आदमी पत्थरों को ही इकट्ठे करता चला जाता है। मैं तुमसे कहता हूं, हीरे की खदान पास ही है। मैं तुमसे कंकड़-पत्थर छोड़ने को नहीं कहता। मैं तुमसे त्याग की बात ही नहीं करता। जीवन
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