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'आज' के गर्भाशय से 'कल' का जन्म
एक बड़ा मुकदमा था। एक बड़ी स्टेट का मुकदमा था प्रीवी कौंसिल में। लाखों का मामला था। तो विरोधी वकील ने उनके शोफर को मिला लिया-कुछ पैसे दिए और कहा कि तू इतना करना, उनके कोट के ऊपर का बटन तोड़ देना। तो वे जब अदालत में अपना कोट लेकर हाथ में रखकर आए तो वह बटन नदारद था। तो उस वक्त तो उन्होंने देखा भी नहीं, कोट डाल लिया। जब वे पैरवी करने लगे
और वक्त आया, हाथ कोट के बटन पर गया, बस, सब गड़बड़ हो गया! जैसे मस्तिष्क ने साथ छोड़ दिया, कुछ सूझ-बूझ ही न रही, चक्कर सा मालूम हुआ। बैठ गए। पहला मुकदमा हारे वे।
वे मुझसे कहते थे कि उस बटन से मुझे मिला तो कभी कुछ नहीं, लेकिन गंवाया मैंने बहुत। उस बटन के घुमाने से कुछ मुझे सूझ-बूझ आती थी ऐसा भी नहीं था, लेकिन बटन न पाकर बस, मैं समझ ही न पाया कि अब क्या करूं? हाथ से जैसे कोई हथियार छूट गया। भरोसा किए बैठे थे, और वक्त पर जिस पर भरोसा था वह दगा दे गया। - जिनको तुम आदतें कहते हो, बुरी हों या भली, इससे कोई भेद नहीं पड़ता, सब आदतें, मालिक हो जाएं तो बुरी हैं। तुम मालिक रहो तो कोई आदत बुरी नहीं। गुलामी बुरी है, मालकियत भली है। मेरी परिभाषा यही है। संस्कार बन रहे हैं प्रतिपल। आदतें निर्मित हो रही हैं। तुम जरा दूर खड़े रहो, तुम अपनी मालकियत मत खोओ।
निश्चित जीवन में आदतों की जरूरत है। अगर आदतें न हों तो जीवन बहुत कठिन हो जाएगा। आदतें जीवन को सुगम बनाती हैं। तुम टाइपिंग सीखते हो, या कार चलाना सीखते हो, अगर आदत न बने और रोज-रोज फिर वहीं खड़े हो जाओ जहां पहले दिन खड़े हुए थे; फिर देखने लगो कि अब टाइप करने का फिर मौका आया अब फिर सीखो, या कार चलाने की फिर नौबत आ गयी अब फिर से सीखो, तो जिंदगी बहुत असंभव हो जाए। तुम कार चलाना एक बार सीख लेते हो, आदत बन गयी। फिर हाथ ही काम किए चले जाते हैं, फिर तुम्हें ध्यान भी देने की जरूरत नहीं होती। ठीक-ठीक ड्राइवर गीत भी गुनगुना लेता है, बात भी कर लेता है, रेडियो भी सुन लेता है। और कुछ तो ड्राइवर ऐसे हैं कि झपकी भी ले लेते हैं और गाड़ी चलती रहती है।
जीवन में आदत की जरूरत है। बस ध्यान इतना ही रखना जरूरी है कि आदत मालिक न हो जाए। मालिक तुम बने रहो तो संसार में कुछ भी बुरा नहीं है। स्वामित्व तुम्हारा हो, तो संसार में सभी कुछ अच्छा है। स्वामित्व खो जाए, तुम गुलाम हो जाओ, तो वह गुलामी चाहे कितनी ही कीमती हो, खतरनाक है। हीरे-जवाहरात लगे हों सीखचों पर, जंजीरों पर, तो भी उनको आभूषण मत समझ लेना। वे खतरनाक हैं। वह महंगा सौदा है।
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