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बुद्धपुरुष स्वयं प्रमाण है ईश्वर का
की क्षमता लेकर पैदा हुए हो। अगर तुम न हो पाए, तो तुम्हारे अतिरिक्त कोई और जिम्मेवार नहीं।
तुम बीज लेकर आए हो बुद्धत्व का। ठीक भूमि न दो, ठीक अवसर न दो, बीज बीज रह जाए, और फूल न खिल पाएं, तो किसी और को जिम्मेवार मत ठहराना। तुम्हारे अतिरिक्त न तुम्हारा कोई मित्र है, और न कोई शत्रु। तुम्हारे अतिरिक्त न तुम्हें कोई मिटा सकता है, न कोई बना। तुम्हारे अतिरिक्त न कोई दुख है, न कोई सुख। तुम ही नर्क हो तुम्हारे, तुम्ही स्वर्ग। ऐसा बोध तुम्हारे भीतर जन्मे तो श्रामण्य का अधिकार मिलता है।
आज इतना ही।
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