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बुद्ध के वचन समझने के लिए बुद्ध को समझना अनिवार्य है। इस दृष्टि से ओशो ने 2500 वर्ष बाद पुनः गौतम बुद्ध की चेतना के स्तर पर ही मनोविज्ञान के परम उद्घोषक बनकर शास्ता और शास्त्र के बीच की खाई को पाट दिया है।
ओशो ने पहली बार बुद्ध को, बुद्ध की वाणी को साकार किया है, उन्हें समझने के सूत्र दिए हैं, सदियों के बाद उन्हें फिर समसामयिक कर दिया है। बुद्धों की अक्षुण्ण श्रृंखला में ऐसा ही होता रहा है। एस धम्मो सनंतनो।
डा. वसंत जोशी
__(स्वामी सत्य वेदांत) एम.ए., पी एच.डी., महाराजा सयाजीराव
विश्वविद्यालय, बड़ौदा पी एच.डी. मिशिगन विश्वविद्यालय, यू.एस.ए.
उपकुलपति, ओशो मल्टिवर्सिटी, पूना