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एस धम्मो सनंतनो
सकता होता तो अभी मिल सकता था। तुम यह मत सोचना कि स्वर्ग कल मिलेगा,
और मरने के बाद मिलेगा। क्योंकि स्वर्ग तो चारों तरफ मौजूद है-अभी और यहीं। इसी क्षण स्वर्ग बरसा है तुम्हारे चारों तरफ। तुम्हें चारों तरफ से घेरा है स्वर्ग ने, पर तुम मौजूद नहीं हो। और तुम अगर आज मौजूद नहीं हो, तो कल मरने के बाद तुम कैसे मौजूद हो सकोगे? मौजूद होने का कोई अभ्यास ही नहीं है। मरने के बाद भी तुम वही होओगे जो तुम हो।
इसी को तो हम कहते हैं, बार-बार जन्म लोगे। बार-बार जन्म लेने का अर्थ है, तुम फिर-फिर वही हो जाओगे जो तुम थे। तुम दोहराओगे। तुम पुनरुक्ति करोगे। तुम्हारे जीवन में क्रांति न होगी, पुनरुक्ति होगी। तुम्हारा जीवन रोज-रोज नए का
आविर्भाव न होगा, केवल पुरानी राख का जमता जाना। तुम्हारा जीवन अंगार की तरह न होगा, तुम्हारा जीवन राख के ढेर की तरह होगा। तुम वही-वही करते रहोगे जो तुमने पहले भी किया है, और भी पहले किया है।
तुम अगर आज अचानक तुम्हारी आंख पर पट्टी बांध दी जाए और तुम्हें स्वर्ग में ले जाकर छोड़ दिया जाए, क्या तुम सोचते हो तुम सुखी हो जाओगे? इसे थोड़ा विचारना। तुम स्वर्ग में भी सुखी न हो सकोगे। तुम वहां भी नर्क खोज लोगे। क्योंकि तुम्हें आता ही नहीं उस बात को देखना जो मौजूद हो। अन्यथा तुम स्वर्ग में छोड़े ही गए हो। यह मैं कोई कल्पना नहीं कर रहा हूं, तुम स्वर्ग में छोड़े ही गए हो। और आंख पर पट्टी भी नहीं बांधी हुई है। __फिर से एक बार सूरज को देखो। फिर से एक बार फूलों को देखो। फिर से एक बार पक्षियों के गीत सुनो, जैसे कभी न सुने हों। फिर से एक बार नए और ताजे होकर जिंदगी से संपर्क साधो। फिर से एक बार अभी और यहीं उत्सव में डूब जाओ। अचानक तुम पाओगे, स्वर्ग था। चूकते हम इसलिए न थे कि स्वर्ग दूर था। चूकते हम इसलिए थे कि स्वर्ग में थे, लेकिन वर्तमान में होने की कला न आती थी।
'इस लोक में भी शोक करता है और परलोक में भी; पापी दोनों जगह शोक करता है। वह अपने मैले कर्मों को देखकर शोक करता है, पीड़ित होता है।' ___ अतीत को याद करता है तो सिवाय मैले कर्मों के कुछ दिखायी नहीं पड़ता है। सोया हुआ आदमी मैले कर्म ही कर सकता है। उसकी पूरी कथा, उसका पूरा इतिहास मैले कर्मों का होता है। जैसे किसी ने नींद में चित्र बनाया हो। देखता है, कुछ समझ में नहीं आता। एक बेबूझ पहेली मालूम पड़ती है, स्याही के धब्बे मालूम पड़ते हैं। रंग बेतरतीब हैं। कुछ समझ में नहीं आता। जैसे किसी पागल ने बनाया हो। यद्यपि पागल मिल जाएंगे उसकी प्रशंसा करने को भी। क्योंकि दूसरे भी इतने सोए हुए हैं। तुम्हारे जीवन की प्रशंसा करने वाले लोग मिल जाएंगे, क्योंकि वे भी तुम जैसे हैं। - मैंने सुना है कि पिकासो के चित्रों की एक प्रदर्शनी पेरिस में हुई। एक चित्र के
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