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एस धम्मो सनंतनो
जिदगी क्या किसी मुफलिस की कबा है जिसमें
हर घड़ी दर्द के पैबंद लगे जाते हैं जिंदगी क्या किसी भिखारी का लबादा है, जिसमें हर घड़ी दर्द के नए-नए थेगड़े लगे जाते हैं? जिंदगी ने तो चाहा था कि तुम सम्राट बनो। जिंदगी भिखारी का लबादा नहीं है। लेकिन जिंदगी भिखारी का लबादा हो गयी है। तुमने उसे भिखारी का लबादा बना दिया है। जिंदगी सम्राट पैदा करती है, और आदमी भिखारी हो जाता है। सभी सम्राट की तरह पैदा होते हैं, और मरते भिखारी की तरह हैं। हर बच्चा संसार में एक नया साम्राज्य लाता है। और हर बूढ़ा एक दुख की गाथा अपने साथ लिए विदा हो जाता है। जिंदगी का कुल जोड़ दुख हो जाता है। ___जिंदगी की भूल नहीं है। जीने के ढंग में भूल है। जीने का ढंग न आया। गलत ढंग से जीए। तो जहां स्वर्ण बरस सकता था, वहां हाथ में केवल राख लगी। जहां फूल खिल सकते थे, वहां केवल कांटे मिले। और जहां परमात्मा के मंदिर के द्वार खुल जाते, वहां केवल नर्क निर्मित हुआ। ___ तुम्हारी जिंदगी तुम्हारे हाथ में है। जिंदगी कोई निर्मित घटना नहीं है, अर्जित करनी होती है। जिंदगी मिलती नहीं, बनानी होती है। मिलती तो है कोरी स्लेट, कोरा कागज। क्या तुम उस पर लिखते हो, वह तुम्हारे हाथ में है। तुम दुख की गाथा लिख सकते हो। तुम आनंद का गीत लिख सकते हो। नहीं, यह बात गलत है
जिंदगी क्या किसी मुफलिस की कबा है जिसमें
हर घड़ी दर्द के पैबंद लगे जाते हैं यह बात गलत है।
लेकिन यह बात अगर आदमी को देखें तो बिलकुल सही मालूम होती है। कभी कोई बुद्ध, कोई महावीर, कोई कबीर और ढंग से जीता है और सारी जिंदगी आनंद का एक उत्सव हो जाती है। कबीर ने कहा है, खूब जतन से ओढ़ी कबीरा, ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया। जतन-खूब जतन से। कितने होश से तुम जीवन को जीते हो, कितने जतन से, उस पर ही निर्भर करेगा। अगर दुखी हो, तो ध्यान रखना, जतन से नहीं जी रहे हो। दुख बढ़ता जाता है, तो ध्यान रखना, गलत दिशा पकड़ ली है। किसी और को दोष मत देना। क्योंकि किसी और को दोष देकर कोई कभी बदल न पाया। किसी और को दोष मत देना, क्योंकि किसी और को दोष देने का अर्थ, जीवन का रूपांतरण फिर कभी भी न हो पाएगा। अगर आंख में आंसू हों तो कारण अपने हृदय में खोजना।
कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया
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