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________________ ताओ उपनिषद भाग ६ छोटे घास के पौधे की भांति हो जाना। तूफान आता है, घास का पौधा जमीन पर लेट जाता है। अकड़ रखता ही नहीं; जरा भी ना-नुच नहीं करता। यह भी नहीं कहता कि कैसे करूं, यह ठीक नहीं है। क्यों मुझे झुका रहे हो? बात ही नहीं उठाता। तूफान आता है, तूफान के साथ ही झुक जाता है। तूफान बाएं बह रहा हो तो बाएं, तूफान दाएं तो दाएं; दक्षिण तो दक्षिण, उत्तर तो उत्तर। तूफान जहां जा रहा हो, घास का छोटा पौधा तूफान के साथ मैत्री कर लेता है, सहयोग कर लेता है। तूफान के विरोध में खड़ा नहीं होता, तूफान की धारा में बह जाता है। और जिस घास के पौधे ने तूफान में बहने की कला जान ली, वह तूफान पर सवार हो गया; उसे तूफान मिटा न सकेगा। अब आ जाएं और बड़े तूफान भी, अब महा तूफान और आंधियां उठे, तो भी इस पौधे को कुछ भी न कर सकेंगे। वह सो जाएगा जमीन पर, तूफान गुजर जाएगा। तूफान सदा नहीं रहते; आते हैं, चले जाते हैं। तूफान के जाने के बाद तुम देखोगे, बड़े-बड़े वृक्ष उखड़े पड़े हैं, उनकी जड़ें टूट गईं, उनके प्राण-पखेरू उड़ गए; छोटे-छोटे घास के पौधे वापस लहलहा रहे हैं—पहले से भी ज्यादा ताजे। तूफान सिर्फ उनकी धूल झड़ा गया; इससे ज्यादा कुछ भी तूफान न कर पाया। लाओत्से को बहुत प्रिय है झुकने की कला। वह कहता है, जब तुम्हें कोई झुकाने आए तुम पहले से ही झुक । जाना। तुम उसे इतना भी मौका मत देना कि झुकाने की कोशिश उसे करनी पड़े। जैसे कभी-कभी छोटा बच्चा अपने बाप से कुश्ती लड़ता है तो बाप क्या करता है? कुश्ती लड़ता है; बाप जरा खेल-खाल करके लेट जाता है; छोटा बच्चा छाती पर सवार हो जाता है। और वह कहता है, जीत गए! बाप का गौरव इसमें है कि वह छोटे बच्चे के साथ झुक जाता है। यही उसकी श्रेष्ठता है। जो बाप छोटे बच्चे से लड़ने लगे उसको तुम मूढ़ कहोगे। लड़ने में मूढ़ता है; झुक जाने में बोध है, समझ है। और बेटा अगर यह भी अनुभव कर ले कि हम जीत गए तो हर्ज क्या है? जितनी तुम्हारी समझ गहरी होगी उतना ही तुम दूसरे को जीतने का मौका दोगे। अभी नासमझ है, बच्चा है। अभी जीतने में रस है। जीत लेने दो। उतना ही तुम्हारे जीवन से संघर्ष और प्रतिरोध कम हो जाएगा। तुम सभी को जीतने का मजा लेने दोगे। और लाओत्से कहता है, आखिर में वह उन्होंने जो जीतना समझा था, वे पाएंगे कि जीते तुम और हारे वे। बच्चा कभी तो बड़ा होगा। तब जानेगा कि बाप का कितना गहन प्रेम था कि वह हार गया था। बच्चा कभी तो जागेगा और समझेगा। बच्चे को हराने की कोशिश मत करना, क्योंकि उसमें तुम बच्चे के विकास की संभावना को तोड़ दोगे। लड़ते वे ही हैं जो बचकाने हैं। और लड़ने वाला कभी जीतता नहीं, क्योंकि एक बार तुम्हें लड़ने की लत पड़ गई तो तुम मुश्किल में पड़ोगे। प्रसिद्ध कहानी है मुल्ला नसरुद्दीन के जीवन में कि वह जिस चाय-घर में चाय पीने आता था उसके सामने बैठा रहता अक्सर एक लड़का था शैतान, वह आता और उसकी पगड़ी को हाथ मार देता। पगड़ी नीचे गिर जाती; वह उठा कर अपनी पगड़ी फिर बांध लेता। न तो उसने कभी उस लड़के को कुछ कहा, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। चाय-घर के दूसरे लोगों ने भी कई दफे कहा कि नसरुद्दीन, यह जरा जरूरत से ज्यादा बात हुई जा रही है। और तुम इस लड़के को बिगाड़ रहे हो। और अब यह इसने नियम बना लिया; यह रोज आता है। तुम आए नहीं कि वह आया नहीं। और यह क्या बात है! एक दफा एक चांटा उसको रसीद कर दो। नसरुद्दीन ने कहा, ठहरो, जिंदगी खुद ही उसको चांटा रसीद कर देगी। कई दिन बीत गए। लोग पूछते भी, कब जिंदगी चांटा रसीद करेगी? कहां है जिंदगी? पर एक दिन वह घड़ी आ गई। एक अफगान सैनिक, जहां नसरुद्दीन बैठा करता था, एक दिन सुबह आकर वहीं चाय-घर में बैठा। उसने उसी रंग की पगड़ी बांध रखी थी जैसी नसरुद्दीन की थी। पीठ के पीछे से लड़के को कुछ दिखाई न पड़ा। उसने पगड़ी
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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