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________________ बिर्बल के बल नाम जब तुम्हें कोई गाली देता है तब तुम दो काम कर सकते हो। एक जो तुम करते हो कि जब तुम्हें कोई गाली देता है तो तुम भी गाली देते हो। अगर ताकतवर दिखाई पड़ता है तो भीतर देते हो, ऊपर से मुस्कुराते हो। अगर कमजोर दिखाई पड़ता है तो ऊपर से देते हो। एक छोटे स्कूल में पादरी बच्चों को समझा रहा था कि क्षमा करना चाहिए, क्षमा बड़ा गुण है। जब तुम्हें कोई गाली दे, क्षमा कर दो। फिर उसने एक छोटे बच्चे से पूछा कि बोलो, तुम्हें समझ में आया? उसने कहा, बिलकुल समझ में आया। अपने से बड़ों को तो मैं बिलकुल सरलता से क्षमा कर देता हूं, लेकिन अपने से छोटों को क्षमा करना असंभव है। अपने से बड़ों को सरलता से क्षमा कर देता हूं; अपने से छोटों को क्षमा करना असंभव है। कमजोर को क्षमा करना असंभव है, ताकतवर को तो तुम क्षमा कर ही देते हो; क्योंकि झंझट है। लेकिन जिस दिन तुम कमजोर को क्षमा कर देते हो, उस दिन तुम्हारे जीवन में एक रूपांतरण होता है। तो एक तो व्यवहार है गाली देने का-या तो ऊपर से दो या भीतर से दो। मैंने सुना है कि एक साधारण सिपाही पहले महायुद्ध में पुरस्कृत हुआ। एक साधारण सा सैनिक उसकी वीरता के कारण मेजर बना दिया गया। वह एक दिन जनरल के साथ रास्ते से गुजर रहा है और सभी सैनिक सलामी मारते हैं। वह जब भी सलामी सुनता है तो धीरे से भीतर कहता है : दि सेम टु यू, वही तुम्हारे लिए भी। जनरल थोड़ा हैरान हुआ। उसने कहा, तुम यह बार-बार क्या करते हो कि दि सेम टु यू? ऊपर से सलामी करते हो और धीरे से यह क्या कहते हो कि वही तुम्हारे लिए भी? उसने कहा, आपको पता नहीं कि भीतर-भीतर ये लोग क्या कह रहे हैं। मुझे पता हैं; मैं सैनिक रह चुका हूं। भीतर ये गाली दे रहे हैं; ऊपर से सलाम मार रहे हैं। इसलिए मैं धीरे से कह देता हूं: दि सेम फॉर यू। इनकी असली हालत मुझे पता है। मैं रह चुका हूं सैनिक।। आदमी का यह तो सहज व्यवहार है कि गाली कोई दे तो वह गाली दे। या तो ऊपर से दे सके तो ऊपर से दे, न दे सके ऊपर से तो भीतर से दे। क्योंकि बिना दिए उसे बेचैनी अनुभव होगी। ___ और लाओत्से कह रहा है, जब तुम्हें कोई गाली दे तो तुम उसे पी जाओ, तुम उत्तर मत दो। तुम किसी तरह का बाहर या भीतर प्रतिकार मत करो। और लाओत्से एक ऐसी गहन बात कह रहा है कि अगर तुम कर पाओ तो तुम चकित हो जाओगे कि तुमने कितनी ऊर्जा अब तक व्यर्थ गंवाई! जब तुम किसी की गाली को चुपचाप पी जाते हो तो उसकी गाली तुम्हें मजबूत कर जाती है, शक्तिशाली कर जाती है। एक तो तुम गाली देने में जितनी ऊर्जा खर्च करते, क्रोधित होते, परेशान होते, बेचैन होते, उससे बच जाते हो। और उसने गाली के द्वारा जो ऊर्जा तुम्हारी तरफ फेंकी है, तुम उसे भी लीन कर लेते हो, तुम उसको भी आत्मसात कर लेते हो। वह गाली देकर कमजोर हो गया, वह गाली देकर छोटा हो गया, सिकुड़ गया। उसकी गाली को तुमने आत्मसात कर लिया। तुम सबल हो गए। हालांकि दुनिया यह कहेगी कि यह आदमी कितना निर्बल है कि लोग इसको गाली देते हैं और यह गाली का जवाब भी नहीं देता! लोग तुम्हें निर्बल कहेंगे। लेकिन जीवन के शास्त्र से अगर तुम पूछो तो तुम सबल हो रहे हो। लाओत्से के इन वचनों के आधार पर एक पूरा शास्त्र विकसित हुआ है। जुजुत्सु, जूडो, अकीदो, अनेक नामों से उस शास्त्र का चीन और जापान में विकास हुआ। न केवल गाली के लिए लाओत्से कहता है, जब तुम्हें कोई घूसा मारे तब भी तुम उसके घूसे को पी जाओ। चूंसा तो शुद्ध ऊर्जा है, तुम उसको फेंको मत, तुम उसे लीन कर लो, आत्मसात कर लो, तुम उसे स्वीकार कर लो। जैसे किसी आदमी ने कोई चीज भेंट दी है। तुम उसे पी जाओ। और जुजुत्सु को जो लोग ठीक से अभ्यास कर लेते हैं क्योंकि जुजुत्सु का अभ्यास बड़ा कठिन है, तुम्हारी सारी जीवन । 339
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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