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________________ राजनीति को उतारो सिंहासन से राजनीति से बड़ी घटनाएं घट रही हैं दुनिया में, उनको आदर दो। कोई गीत गा रहा है, किसी ने एक नया गीत बनाया है, किसी ने बांसुरी पर नयी धुन उठाई है; किसी ने नृत्य में एक नया रंग जोड़ दिया है। किसी ने फूलों के चित्र बनाए हैं, ऐसे कि परमात्मा भी ईर्ष्या करे। इनको प्रसन्नता दो, इनको प्रशंसा दो, इनको आदर दो, क्योंकि ये जीवन में कुछ जोड़ रहे हैं; जीवन को समृद्ध बना रहे हैं; जीवन को ज्यादा उत्सव में परिणत कर रहे हैं। राजनेता कर क्या रहा है? जीवन को कौन सा दान है उसका? ज्यादा से ज्यादा उसकी स्थिति इतनी है जैसे द्वार पर बैठा पहरेदार है। ठीक है, काम ठीक करे तो धन्यवाद! काम न ठीक करे तो कान पकड़ कर उसको अलग कर देना है। __कवि हैं, चित्रकार हैं, नृत्यकार हैं, मूर्तिकार हैं, संगीतज्ञ हैं, जो जीवन पर बड़ी अहर्निश वर्षा कर रहे हैं; जो मन की जरूरतें पूरी कर रहे हैं; उनको धन्यवाद दो। किसान है, मजदूर है; उसको धन्यवाद दो, क्योंकि वह शरीर की जरूरतें पूरी कर रहा है। फिर कोई संत है जो आत्मा की प्यास को वर्षा दे रहा है, जो मेघ बन कर बरस रहा है; उसको धन्यवाद दो। राजनीतिज्ञ का काम एक कोने में पर्याप्त है। सारे जीवन पर छा जाए आकाश की तरह, यह विक्षिप्त बात है। लेकिन राजनीति छा गई है, इस बुरी तरह छा गई है कि उसने कुछ और छोड़ा ही नहीं है। यह सूचक है इस बात का कि लोग साफ नहीं हैं कि बीमारी कहां है, और इलाज जारी है। तो इलाज और खतरनाक बन जाता है। बीमारी बहुत गहन में राजनीति के समादर में है। राजनीति को उतारो सिंहासन से! इसलिए नहीं कि किसी और को सिंहासन पर बिठालना है। राजनीतिज्ञ भी • चिल्लाते हैं, उतरो सिंहासन से, जनता आती है। मगर वे इसलिए चिल्लाते हैं कि तुम उतरो, हम आ रहे हैं। राजनीतिज्ञों को नहीं उतारना है सिंहासन से, राजनीति को उतार दो सिंहासन से। राजनीति सेवा से ज्यादा नहीं है। जो अच्छा करे उसे प्रमाणपत्र दे देना धन्यवाद का। लेकिन इससे ज्यादा मूल्य नहीं है। लेकिन चौबीस घंटे और सब जीवन के आकाश पर उसको छा जाने दिया है। उससे भयानक परिणाम हुए हैं। तो जो रक्षक था वह भक्षक हो गया है। जो सेवक था वह शासक हो गया है। और जनता दबी जाती है और लोग सिकुड़ते जाते हैं। उनकी आत्मा खो गई है, उनका मन खो गया है। उनका शरीर भी पूरी तरह बचा नहीं, वह भी खोता जा रहा है। लाओत्से का विश्लेषण, लाओत्से का निदान अचूक है। और जब तक यह निदान लागू न होगा, संसार व्यथित रहेगा। अगर कोई क्रांति करने जैसी है तो वह लाओत्से की क्रांति है। वह राजनीति को उसके पद से हटा देने की क्रांति है। आज इतना ही। 257
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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