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ताओ उपनिषद भाग ६
क्रोध इसीलिए है कि तुम्हें ध्यान का कोई पता नहीं। क्रोध इसीलिए है कि तुम्हें अपनी गहराई का कोई पता नहीं। तुम अपने घर के बाहर-बाहर जी रहे हो, इसलिए उथले हो। उथलेपन में क्रोध है। जैसे नदी गहरी हो जाती है
और शोरगुल बंद हो जाता है, जैसे घड़ा भर जाता है फिर आवाज नहीं आती, ऐसे ही जब कोई व्यक्ति गहरा होता है तब उसके जीवन से क्रोध विलीन हो जाता है। और योद्धा को तो गहरा होना ही चाहिए। ऐसे तो सभी योद्धा हैं, क्योंकि जीवन एक संघर्ष है। _ 'बड़ा विजेता छोटी बातों के लिए नहीं लड़ता है।'
असल में, छोटी बातों के लिए जो लड़ता है उसके जीवन में बड़ा छोटापन है, बड़ा ओछापन है। तुमने कभी गौर किया कि तुम किन बातों के लिए लड़ते हो? अगर तुम गौर से खोजोगे तो तुम पाओगे बातें बड़ी छोटी हैं, और लड़ाई बड़ी मचाते हो। राह से जाते थे, किसी ने मुस्कुरा दिया; दुश्मनी हो गई। किसी ने एक शब्द कह दिया, और जिंदगी भर तुम उसको बोझ की तरह ढोते हो। तुम लड़ते किन बातों पर हो? बहुत छोटी बातें हैं। विचार करोगे तो हंसोगे अपने ऊपर कि यह भी कुछ लड़ने योग्य था! और एक बात स्मरण रखना। अगर छोटी बातों के लिए लड़े तो छोटे रह जाओगे। एक बड़ी प्रसिद्ध कहावत है अरब में कि आदमी अपने दुश्मन से पहचाना जाता है। अगर तुमने छोटे दुश्मन चुने तो तुम आदमी छोटे हो। अगर तुमने बड़े दुश्मन चुने तो तुम आदमी बड़े हो। तुम किन चीजों से लड़ते हो? उनसे ही तो तुम्हारा व्यक्तित्व निर्मित होगा।
अगर तुम बड़ी चीजों के लिए लड़ते हो, तुम अचानक बड़े हो जाओगे। और जब यह बात तुम्हें समझ में आ जाएगी तो तुम लड़ोगे ही नहीं; क्योंकि इतनी कोई भी बड़ी चीज नहीं है कि जिससे लड़ कर तुम विराट हो सको। सभी चीजें छोटी हैं। कोई छोटी, कोई बड़ी, लेकिन अंततः सभी चीजें छोटी हैं। इसलिए जिसको विराट के साथ एक होना है वह असंघर्ष का सदगुण सीख लेता है। वह लड़ता ही नहीं; वह लड़ने योग्य ही नहीं पाता।
जीसस के वचन हैं, कोई मारे एक गाल पर चांटा, दूसरा कर देना।
इनका राज क्या है? इनका राज यह है कि यह बात लड़ने योग्य है ही नहीं। चांटा ही मार रहा है; गाल पर ही . मार रहा है; बिगाड़ क्या लेगा? लेकिन इससे अगर तुम लड़ने लगे तो लड़ाई के द्वारा तुम इसी की स्थिति में आ जाओगे जहां यह खड़ा है। आखिर तुम भी क्या करोगे? दुश्मन जिसको तुमने चुना वह तुम्हें बदल देगा अपने ही ढंग में। मित्र इतना नहीं बदलते जितना दुश्मन बदल देते हैं। अगर लड़ना ही हो तो किसी बड़ी बात के लिए लड़ना।
लेकिन कौन सी बड़ी बात है जिसके लिए तुम लड़ोगे? खोजने निकलोगे तो पाओगे ही नहीं कि कोई भी बड़ी बात है। किसी आदमी ने गाल पर एक चांटा मार दिया; हवा का एक झोंका समझ लेना। लड़ने की क्या बात है? और तुम पाओगे, अगर तुम न लड़े तो तुम बड़े हो गए, उसी क्षण बड़े हो गए; तुम ऊपर उठे, साधारण मनुष्यता से पार गए। साधारण क्षुद्र जीवन की बातों से ऊपर उठे।
तो जीसस सूली पर चढ़ते वक्त भी प्रार्थना करते हैं, क्षमा कर देना परमात्मा इनको; क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।
अगर जीसस ने कहा होता कि नष्ट कर देना इन सबको; ये तेरे बेटे का जीवन छीने ले रहे हैं। तो जीसस एकदम छोटे हो गए होते, वहीं सिकुड़ गए होते। सारी बात ही खत्म हो जाती। आखिरी कसौटी सूली पर थी। उस कसौटी पर वे पूरे उतर गए। वही बड़े से बड़ा चमत्कार है। उन्होंने अंधों की आंखें खोली या नहीं खोलीं, सब व्यर्थ की बातचीत है। लंगड़ों को चलाया या नहीं चलाया, कोई हिसाब रखने की जरूरत नहीं है। लेकिन सूली पर उन्होंने प्रमाण दे दिया आखिरी कि वे निश्चित ही बेटे परमात्मा के हैं। वे इतने बड़े हैं कि जो सूली पर लटका रहे हैं उनको क्षमा कर सकते हैं।
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