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Chapter 50
THE PRESERVING OF LIFE
Out of life death enters. The companions (organs) of life are thirteen; The companions (organs) of death are also thirteen. What send man to death in this life are also (these) thirteen. How is it so? Because of the intense activity of multiplying life. It has been said that he who is a good preserver of his life Meets no tigers, or wild buffaloes on land, Is not vulnerable to weapons in the field of battle. The horns of the wild buffalo are powerless against him; The paws of the tiger are useless against him; The weapons of the soldier cannot avail against him. How is it so? Because he is beyond death.
अध्याय 50
जीवन का संरक्षण
जीवन से ही निकल कर मृत्यु आती है। जीवन के आथी (अंग) तेरह है, मृत्यु के भी साथी (अंग) तेरह है, और जो मनुष्य को इस जीवन में मृत्यु के घर भेजते हैं, वे भी तेरह ही हैं। यह कैसे होता है? जीवन को विस्तार देने की तीव्र कर्मशीलता के कारण। कहते हैं, जो जीवन का सही संरक्षण करता है, उसे जमीन पर बाघ या भैंसे से सामना नहीं होता, न युद्ध के मैंदान में शस्त्र उसे छेद सकते हैं, जंगली भैंसों के सींग उसके सामने शक्तिहीन है, बाघों के पंजे उसके समक्ष व्यर्थ हैं, और निकों के हथियार निकम्मे है। यह कैसे होता है? क्योंकि वह मृत्यु के परे है।