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________________ धर्म की राह ही उसकी मंजिल हैं 407 अब यह कौन तुम्हें बताएगा ? क्योंकि आहार भी लोगों के भिन्न-भिन्न हैं । एक आदमी श्रम करता है दिन भर, उसका आहार स्वभावतः ज्यादा होगा। तुम दिन भर श्रम नहीं करते, तुम अपनी कुर्सी पर बैठ कर काम करते हो, तुम्हारा आहार कम होगा। . इसलिए कोई बंधे नियम नहीं हो सकते। तुम्हें ही चल कर, सम्हल कर, दोनों अतियों को जांच-परख करके, क्या तुम्हें रास आता है, उस मध्य बिंदु को खोज लेना पड़ेगा। कौन सी जगह है जहां तुम्हारा पेट न तो ज्यादा भरा होता और न कम भरा होता, यह कौन तुम्हें बताएगा ? क्योंकि पेट-पेट अलग हैं; पेटों की जरूरतें अलग हैं। फिर ये भी जरूरतें सदा के लिए एक सी नहीं हैं। ये भी रोज बदलती जाती हैं। इसलिए तुम यह भी मत सोचना कि आज तुम्हारा जो मध्य था वह कल भी मध्य होगा। जिंदगी सतत जागरूकता मांगती है। एक दफा नियम बना लिया और फिर जरूरत न रही, ऐसा मत सोचना। क्योंकि बच्चे की जरूरत अलग है, जवान की जरूरत अलग है, बूढ़े की जरूरत अलग है। तुम्हारे ही बचपन में तुम्हें ज्यादा भोजन की जरूरत थी। फिर तुम्हारी जवानी आई। फिर तुम्हारा बुढ़ापा आएगा। रोज जरूरत बदलेगी । इसलिए एक बड़ी समझने की बात है, लोगों की मोटाई और शरीर का वजन बढ़ना शुरू होता है कोई पैंतीस साल की उम्र के करीब । कारण क्या है ? कारण सीधा है। पैंतीस साल के पहले तक आदमी शिखर की तरफ जा रहा था जवानी के । उसे ज्यादा से ज्यादा भोजन की जरूरत थी। पैंतीस साल तक उसने जिस तरह भोजन किया वह उसकी आदत बन गई। अब पैंतीस साल के बाद जीवन की गाड़ी तो उतरने लगी पहाड़ से नीचे, उतार शुरू हो गया। मौत करीब आने लगी, बुढ़ापा शुरू हो गया। और आदत खाने की उसने पुरानी जारी रखी। अब उतना खाना पचता नहीं । अब उतने खाने की शरीर को जरूरत ही नहीं, क्योंकि शरीर अब मरने की तैयारी कर रहा है। जब शरीर जीने की तैयारी कर रहा था तब ज्यादा भोजन की जरूरत थी। अब तो मरने की तैयारी कर रहा है। अब तो शरीर को धीरे- धीरे-धीरे भोजन को छोड़ने की तैयारी करनी है। भोजन रोज कम होता जाएगा। इसलिए पैंतीस और चालीस साल के बीच लोगों के जीवन में असुविधा आती है। खाने की आदत पुरानी है; आदत को जारी रखते हैं। जितना खाते थे उतना ही खाते हैं। वे कहते हैं, इतना हम सदा से खाते रहे हैं, और कभी गड़बड़ न हुई; आज क्यों गड़बड़ हो रही है ? आज तुम बदल गए हो। तुम जो सदा से थे वह अब तुम नहीं हो। अब जीवन उतर रहा है। अब घाट से नीचे जा रहे हो । अब जरूरत नहीं है इतनी । इसलिए हार्ट अटैक कोई चालीस साल के करीब घटता है। हृदय पर दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं। क्योंकि तुम इतना बोझ चरबी का बढ़ा रहे हो हृदय पर जितना वह नहीं झेल सकता। पैंतीस साल के साथ, तुम्हें अगर थोड़ी भी सम्यक जागरूकता हो, तो तुम खुद ही अपने भोजन को कम करते जाओगे। बच्चा पैदा होता है; बीस घंटे सोता है। मां के पेट में चौबीस घंटे सोता है। उसकी जरूरत उतनी है। क्योंकि जब शरीर निर्मित हो रहा है तो जागने से नुकसान होगा। नींद में शरीर को निर्मित होने में सुविधा होती है। तुम्हारे होश के कारण बाधा पड़ती है। इसलिए तो चिकित्सक कहता है जब कोई बीमारी हो तो नींद बहुत जरूरी है। जब तक तुम जागे रहोगे, बीमारी दूर न हो सकेगी। क्योंकि तुम्हारे जागने के कारण तुम शरीर को मौका नहीं देते कि वह शांत होकर अपने को सुधारने का काम कर ले। इसलिए चिकित्सक कहता है पहली चीज कि तुम सो जाओ। क्योंकि नींद में ही शरीर सुधरता है । क्यों? क्योंकि जागे में तुम कुछ न कुछ खटर पटर करोगे ही। वही तो लाओत्से कहता है कि करने वाले बिगाड़ देते हैं, न करने से सब सुधर जाता है। नींद में सब ठीक हो जाता है। सुबह तुम ताजे उठते हो। क्या है नींद का मतलब? कि तुम मौजूद न थे, खटर-पटर न कर सके, कुछ सुधार की कोशिश न कर सके, कोई चिंता न कर
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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