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________________ स्वादठीब का स्वाद लो आदिवासियों में नहीं हैं लोग स्तन के दीवाने। क्योंकि बच्चा नौ साल तक मां का दूध पी लेता है, स्तन से छुटकारा हो जाता है। इसलिए आदिवासियों में कोई फिक्र नहीं करता स्तन की। स्त्रियां स्तन उघाड़े घूम रही हैं; कोई खड़े होकर भीड़ नहीं लगा कर देखता। कोई स्ट्रिप-टीज की जरूरत नहीं पड़ती। किसी का प्रयोजन ही नहीं है। जब पहली दफे जंगली जातियों का अध्ययन शुरू हुआ और वैज्ञानिक अध्ययन करने गये, तो वे बड़े हैरान हुए। स्त्रियों से पूछो कि यह क्या है? तो वे कहती हैं, बच्चों को दूध पिलाने का स्तन है। तुम उनके स्तन पर हाथ रख कर पूछो तो भी उनको कोई अड़चन नहीं है, कोई बेचैनी नहीं है; जैसे शरीर के किसी और अंग पर हाथ रख कर पूछो तो कोई बेचैनी नहीं है। लेकिन सभ्य जातियों के लिए बड़ी बेचैनी है। पचास प्रतिशत लोग तो स्तन के परिपूरक की तरह सिगरेट पी रहे हैं। अब इनसे तुम सिगरेट छोड़ने को कहो, क्योंकि सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकर है; इसका कोई तालमेल ही नहीं है। इनके कारण से इसका कोई संबंध नहीं जुड़ता। कुछ लोग और कारणों से सिगरेट पी रहे हैं। छोटे बच्चे शुरू करते हैं सिगरेट, क्योंकि सिगरेट बड़े होने का प्रतीक है। बड़े लोग पी रहे हैं सिगरेट, अकड़ कर चल रहे हैं। जब आदमी सिगरेट पीता है तब उसकी अकड़ देखो, जैसे कोई महान कार्य कर रहा है। उसकी भाव-भंगिमा देखो, जिस ढंग से वह निकाल कर सिगरेट को बजाता है अपनी डब्बी पर। फिर उसका चेहरा देखो, कैसी गरिमा आ जाती है। अचानक उसके चारों तरफ एक आभामंडल आ जाता है। फिर वह सिगरेट को मुंह में दबाता है; उसका पूरा क्रियाकांड देखो। फिर वह माचिस या लाइटर निकालता है। फिर किस ढंग से और किस शान से सिगरेट को जलाता है। फिर किस शान से वह धुएं को बाहर-भीतर करता है। अचानक वह कोई दीन नहीं रहा।। छोटे-छोटे बच्चे देख रहे हैं। उनको लगता है कि सिगरेट जो है सिंबालिक है; यह प्रतीकात्मक है बड़े होने का, शक्तिशाली होने का। क्योंकि सिर्फ बड़े ही पीते हैं, छोटों को कोई पीने नहीं देता। लोग कहते हैं, तुम अभी बहुत छोटे हो; बड़े हो जाओ फिर पीना। सब तरफ निषेध है। तो छोटे बच्चे इसलिए पीना शुरू कर देते हैं कि बड़प्पन का इसमें भाव है। • कुछ लोग इसलिए पी रहे हैं कि उनके भीतर हीनता की ग्रंथि छिपी है अभी भी। तो जब भी उनको हीनता लगती है तभी वे सिगरेट पीकर अपनी हीनता को छिपा लेते हैं, बड़े हो जाते हैं। सस्ते में बड़े हो जाते हैं। एक सिगरेट पीने से इतना बड़प्पन मिलता है, क्या हर्ज है? . कुछ लोग इसलिए सिगरेट पी रहे हैं कि उनको खाली रहना बहुत मुश्किल है, कोई व्यस्तता चाहिए; नहीं तो उनको घबड़ाहट होने लगती है। तुम जैसे अकेले रहो दिन भर घर के भीतर तो बेचैन होने लगोगे कि जाओ क्लब, कि मंदिर, कि कहीं सत्संग करो, कि कुछ करो। खाली बैठे हो! मन खाली नहीं रहना चाहता। क्योंकि मन खाली रहा कि मिटा। मन को व्यस्तता चाहिए, आकुपेशन चाहिए। अगर कुछ भी न करने को हो तो कम से कम सिगरेट पी सकते हो हर हालत में। सिगरेट संगी-साथी है, सस्ता संगी-साथी है। खीसे में लेकर चल सकते हो, पोर्टेबल है। अकेले भी बैठे हो कमरे में, कोई कहीं क्लब-घर जाने की जरूरत नहीं; बस सिगरेट निकालो, जलाओ। चैन आ गया; आकुपेशन आ गया; काम शुरू हो गया। सिगरेट एक तरह की व्यस्तता है कुछ लोगों के लिए। और इस तरह के और-और कारण हैं। हर आदमी को अपना कारण खोजना पड़े। और जब अपना कारण खोज ले कोई आदमी तो मुक्त होना इतना आसान है जितनी और कोई चीज नहीं। लेकिन उधार कारणों से कोई मुक्त नहीं हो सकता; दूसरों के बताने से कोई मुक्त नहीं हो सकता। और छोटी-छोटी चीज भी काफी जटिल है; क्योंकि तुम्हारी पूरी आत्मकथा उसमें छिपी है। 347
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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