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Chapter 63
DIFFICULT AND EASY
Accomplish do-nothing. Attend to no-affairs. Taste the flavourless. Whether it is big or small, many or few, requite hatred with virtue. Deal with the difficult while yet it is easy; Deal with the big while yet it is small. The difficult (problems of the world Must be dealt with while they are yet easy; The great (problems) of the world Must be dealt with while they are yet small. Therefore the Sage by never dealing with great (problems), Accomplishes greatness. He who lightly makes a promise Will find it often hard to keep his faith. He who makes light of many things Will encounter many difficulties. Hence even the Sage regards things as difficult, And for that reason never meets with difficulties.
अध्याय 63
कठिन और सरल
निष्क्रियता को आधो। अकर्म पर अवधान दो। स्वादठीन का स्वाद लो। चाहे वह बड़ी हो या छोटी, बहुत या थोड़ी, घृणा का प्रतिदान पुण्य से दो। कठिन से तभी निबट लो, जब वह सरल ही छो, बड़े से तभी निबढ लो, जब वह छोटा ही छो, संसार की कठिन समस्याएं तभी ठल की जाएं, जब वे सरल ही ठों, संसार की मठान समस्याएं तभी हल की जाएं, जब वे छोटी ही ठों। इसलिए संत सदा बड़ी समस्याओं से निबढे बिना ही महानता को संपन्न करते हैं। जो कुछड़पन के साथ वचन देता है, उसके लिए अक्सर वचन पूरा करना कठिन होगा। जो अनेक चीजों को हलके-हलके लेता है, उसे अनेक कठिनाइयों से पाला पड़ेगा। इसलिए संत भी चीजों को कठिन मान कर हाथ डालते हैं, और उसी कारण से उन्हें कठिनाइयों का सामना नहीं होता।