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स्त्रंण गुण से बड़ी कोई शक्ति नहीं
इसे अपने जीवन का ढंग बनाओ। यह तुम्हारे रोएं-रोएं में, श्वास-श्वास में, धड़कन-धड़कन में समा जाए। जल्दी ही तुम एक महासुख के द्वार पर अपने को खड़ा हुआ पाओगे। जिससे तुम अब तक वंचित रहे हो, लगेगा आ गया क्षण मिलने का। जिसको अब तक तुमने अपनी नासमझी से गंवाया है, सोचते थे कमा रहे हो और गंवाते थे, उसे तुम पहली दफा कमा लोगे।
तुम ही हो कारण अपनी असफलता के, क्योंकि तुम सफल होने की कोशिश कर रहे हो। तुम ही आधार बन जाओगे परम सफलता के। एक बार असफल होकर देखो। एक बार हारो। सीख लो स्त्री का गुण।
स्त्रैण गुण इस जगत में सबसे प्रबल शक्ति है। उससे बड़ी कोई शक्ति नहीं।
आज इतना ही।
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