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नियमों का नियम प्रेम व स्वतंत्रता है
'यही है ठोस आधार प्राप्त करना, यही है गहरा बल पाना; और यही अमरता और चिर-दृष्टि का मार्ग है। दिस इज़ टु बी फर्मली रूटेड, टु हैव डीप स्ट्रेंग्थ, दि रोड टु इम्मारटेलटी एंड एंडयोरिंग विजन।'
ऐसे तुम हो जाओ। इसकी फिक्र मत करो, समाज कब होगा। इसकी फिक्र मत करो, क्योंकि समाज तो सदा रहेगा। तुम सदा नहीं रहोगे। तुम आज हो, कल डेरा कूच करना पड़े। कुछ कहना मुश्किल है, कब बांध चलेगा बनजारा। किसी भी घड़ी। तुम फिक्र मत करो इसकी कि यह दुनिया कब बदलेगी। यह कोई क्रांति का चिंतन नहीं है। यह आत्म-रूपांतरण का चिंतन है। तुम अपने को बदल लो। तुम चाहो तो अभी उस परिवार के हिस्से बन सकते हो जो इस पृथ्वी का नहीं है। और तुम चाहो तो उस खुले आकाश में जी सकते हो जिसकी लाओत्से बात कर रहा है।
इधर मैं हूं तुम्हें केवल उतना खुला आकाश देने को। तुम चाहो तो उड़ सकते हो उस खुले आकाश में। इसलिए मेरे पास न कोई नियम है, न कोई तुमसे व्रत लेता हूं, न तुम्हें कोई कसमें दिलाता हूं। तुम्हें किसी परतंत्रता में बांधने का कोई आयोजन नहीं है। तुम्हारी सब जंजीरें कैसे गिर जाएं और तुम्हारे पंख फिर कैसे सबल हो जाएं कि उड़ सकें। खुला आकाश ही काफी नहीं है। क्योंकि पिंजड़े में अगर बहुत दिन बंद रह गए तो पंखों की उड़ने की क्षमता चली जाती है। खुला आकाश चाहिए तुम्हें, और तुम्हारे पंखों को फिर से सबल बनाने की जरूरत है। तो तुम्हें कोई नियम नहीं देता, ताकि तुम्हें खुला आकाश मिल जाए। और तुम्हें ध्यान देता हूं, ताकि तुम्हारे पंख सबल हो जाएं और तुम उड़ सको।
तुम्हें भरोसा एक बार आ जाए कि तुम उड़ सकते हो दूर आकाश की नीलिमा में, एक बार उड़ कर तुम्हें स्वाद आ जाए, तो तुम इसी पृथ्वी पर, इन्हीं साधारणजनों के बीच में, अचानक असाधारण हो जाते हो। और मजा यह है कि यह असाधारणता आती है तब जब तुम बिलकुल साधारण होने को राजी होते हो। साधारण होने को राजी हो जाना इस जगत में अति असाधारण घटना है।
आज इतना ही।
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